
सतना/नागोद सिविल न्यायालय नागोद में संविधान दिवस का कार्यक्रम आयोजित किया गया है जिसमें प्रथम अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सचिन शर्मा , व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ खंड मनीषा जैन तिवारी, व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड वैभव पटेल, व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड सिमोना सिंह, व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड स्नो मारिया तिग्गा सहित संघ सचिव अनुराग सिंह , अधिवक्ता धर्मेंद्र प्रताप सिंह, गजेंद्र सिंह सहित लोक अभियोजक विनोद सिंह, निशिकांत झा, एवं न्यायालीन कर्मचारी की उपस्थिति में प्रस्तावना का सामूहिक वाचन किया गया। कार्यक्रम के दौरान प्रथम अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सचिन शर्मा द्वारा बताया गया कि —ं- भारतीयों द्वारा कई दशकों पूर्व से ‘संविधान दिवस’ मनाया जाता है। डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के इस महान योगदान के रूप में भारत सरकार द्वारा पहली बार 26 नवम्बर 2015 को “संविधान दिवस” मनाया गया तथा 26 नवम्बर 2015 से प्रति वर्ष सम्पूर्ण भारत में संविधान दिवस मनाया जाता है।[] 26 नवंबर का दिन संविधान के महत्व का प्रसार करने और डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के विचारों और अवधारणाओं का प्रसार करने के लिए चुना गया था। इस दिन संविधान निर्माण समिति के वरिष्ठ सदस्य डॉ सर हरीसिंह गौर का जन्मदिवस भी होता है।व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ खंड मनीषा जैन तिवारी द्वारा बताया गया —- गणराज्य का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था। संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष के रूप में 26 नवम्बर 2015 को पहली बार भारत सरकार द्वारा संविधान दिवस सम्पूर्ण भारत में मनाया गया तथा 26 नवम्बर 2015 से प्रत्येक वर्ष सम्पूर्ण भारत में संविधान दिवस मनाया जा रहा है। इससे पहले इसे राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था। संविधान सभा ने भारत के संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में 26 नवम्बर 1949 को पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया। गणतंत्र भारत में 26 जनवरी 1950 से संविधान अमल में लाया गया। व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड वैभव पटेल के द्वारा जानकारी दी गई कि संविधान किसी भी देश के लिए एक रीढ़ की हड्डी की तरह काम करता है। संविधान में नागरिकों के लिए निहित अधिकारों और कर्तव्यों के दम पर देश सुचारु रूप से चल पाता है। संविधान मूलतः किसी भी देश की शासन प्रणाली और राज्य को चलाने के लिए बनाया गया एक लिखित दस्तावेज होता है। आजादी के बाद देश में एक संविधान की जरुरत महसूस की गई। जिसके बाद संविधान को बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई। संविधान निर्माण के लिए कई देशों के संविधान का अध्यन किया गया। जिसके बाद उनकी मदद से भारत देश का संविधान तैयार किया गया।