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सहारनपुर, 8 फरवरी 2025 – जनता रोड स्थित अवैध कॉलोनी को लेकर सहारनपुर विकास प्राधिकरण (SDA) की भूमिका सवालों के घेरे में है

जनता रोड, सहारनपुर: अवैध कॉलोनी पर कार्रवाई क्यों रुकी?

जनता रोड, सहारनपुर: अवैध कॉलोनी पर कार्रवाई क्यों रुकी?

 

सहारनपुर, 8 फरवरी 2025 – जनता रोड स्थित अवैध कॉलोनी को लेकर सहारनपुर विकास प्राधिकरण (SDA) की भूमिका सवालों के घेरे में है। सूत्रों के अनुसार, मां शाकंभरी यूनिवर्सिटी के पास बरौली क्षेत्र में बिना कॉलोनी नक्शा पास कराए ही गुप्ता नामक व्यक्ति द्वारा करीब 100 बीघा भूमि पर अवैध कॉलोनी विकसित कर दी गई, लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

 

प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस कॉलोनी से संबंधित फाइल संख्या – 0001984/2024 प्राधिकरण कार्यालय में वर्षों से लंबित पड़ी है, लेकिन इसे दबा दिया गया है। नियमों के अनुसार, अवैध निर्माण पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई अनिवार्य होती है, परंतु इस मामले में प्रशासनिक स्तर पर लापरवाही स्पष्ट रूप से देखी जा रही है।

 

विकास प्राधिकरण के नियमों का उल्लंघन

 

उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम, 1973 के तहत, किसी भी नई कॉलोनी के लिए विकास प्राधिकरण से स्वीकृत नक्शा आवश्यक होता है। अवैध कॉलोनियों को मान्यता नहीं दी जाती और ऐसी कॉलोनियों में सड़क, सीवर, बिजली व अन्य मूलभूत सुविधाओं की समस्या बनी रहती है।

 

सूत्रों के अनुसार, विकास प्राधिकरण के अधिकारी और कर्मचारी इस मामले में मिलीभगत कर चुके हैं, जिससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। सरकार को इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए ताकि अवैध कॉलोनियों पर सख्त कार्रवाई हो और सरकारी खजाने को नुकसान से बचाया जा सके।

 

नोटिस दबाने पर सख्त कानूनी कार्रवाई के प्रावधान

 

यदि विकास प्राधिकरण ने इस कॉलोनी को लेकर नोटिस जारी किया था, लेकिन उसे दबा दिया गया, तो यह गंभीर अनियमितता मानी जाएगी। भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत इस पर कड़ी सजा हो सकती है:

 

धारा 166 – लोकसेवक यदि अपने पद का दुरुपयोग कर किसी को लाभ पहुंचाता है या नुकसान करता है, तो उसे एक वर्ष तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।

 

धारा 167 – सरकारी अधिकारी अगर किसी दस्तावेज़ में हेरफेर करता है, तो उसे तीन वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

 

धारा 218 – लोकसेवक यदि किसी मामले को दबाने के लिए रिकॉर्ड में छेड़छाड़ करता है, तो उसे सात वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

 

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 – अगर कोई सरकारी अधिकारी रिश्वत या अनुचित लाभ लेकर कार्रवाई रोकता है, तो उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।

 

 

जनता को क्या करना चाहिए?

 

यदि कोई नागरिक इस प्रकार की अनियमितता का शिकार है या इस अवैध कॉलोनी से प्रभावित है, तो वे निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:

 

1. विकास प्राधिकरण से शिकायत करें – सहारनपुर विकास प्राधिकरण में लिखित शिकायत दर्ज कराएं।

 

 

2. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत केस दर्ज कराएं – उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए न्यायालय में अपील करें।

 

 

3. आरटीआई (RTI) डालें – सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत कॉलोनी से संबंधित जानकारी मांगें।

 

 

4. उच्च न्यायालय में याचिका दायर करें – अगर स्थानीय स्तर पर कार्रवाई नहीं होती है, तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं।

 

 

 

सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए

 

सरकार को इस प्रकरण का संज्ञान लेते हुए इस अवैध कॉलोनी पर त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए, संबंधित अधिकारियों की जांच करानी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए। इससे भविष्य में सरकारी राजस्व की हानि रोकी जा सकेगी और अवैध कॉलोनियों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।

 

(रिपोर्ट: एलिक सिंह, वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज़)

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