
सहारनपुर में अवैध निर्माण का गोरखधंधा: विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत उजागर
सहारनपुर, 8 फरवरी 2025 – सहारनपुर में अवैध निर्माणों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। विकास प्राधिकरण के अधिकारी, इंजीनियर और कर्मचारी छुट्टी के दिनों में भी धड़ल्ले से निर्माण कार्य करवा रहे हैं, जिससे नगर की संरचना और कानून-व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
विकास प्राधिकरण की मिलीभगत से जारी अवैध निर्माण
नगर में कई ऐसे स्थान हैं जहां बिना स्वीकृत नक्शे के भवन खड़े किए जा रहे हैं। घंटाघर स्थित अलेक्स कॉम्प्लेक्स, जो कभी प्रभात टॉकीज था, वहां अवैध रूप से बेसमेंट निर्माण जारी है। इसके अलावा, ट्रांसपोर्ट नगर में भी अनेकों अवैध निर्माण प्राधिकरण के जेई और मैट की देखरेख में बेखौफ किए जा रहे हैं।
स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों का आरोप है कि विकास प्राधिकरण के अधिकारी मोटी रकम लेकर अवैध निर्माण की अनुमति दे रहे हैं। इस भ्रष्टाचार के चलते सरकार को भारी राजस्व नुकसान उठाना पड़ रहा है।
क्या कहते हैं नियम?
भारत में भवन निर्माण से जुड़े कई सख्त नियम और अधिनियम हैं, जिनका उल्लंघन कर सहारनपुर में धड़ल्ले से निर्माण किया जा रहा है।
- भारतीय भवन संहिता (IBC) और राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC) के अनुसार, किसी भी नए निर्माण के लिए स्वीकृत नक्शा अनिवार्य है।
- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत निर्माण से पहले पर्यावरणीय मंजूरी आवश्यक है।
- स्थानीय निकायों के नियमों के अनुसार, किसी भी इमारत को बिना स्वीकृति निर्माण करने पर उसे गिराने का प्रावधान है।
विकास प्राधिकरण की निष्क्रियता से उत्पन्न समस्याएं
अवैध निर्माणों के कारण नगर में यातायात, स्वच्छता और पार्किंग जैसी समस्याएं विकराल रूप ले रही हैं।
- यातायात जाम – अवैध निर्माणों के चलते सड़कें संकरी हो रही हैं, जिससे ट्रैफिक बाधित होता है।
- पार्किंग संकट – बिना नक्शे के बने भवनों में पार्किंग की व्यवस्था नहीं होती, जिससे आम जनता को दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं।
- स्वच्छता का अभाव – अनियोजित निर्माण के कारण कचरे की उचित व्यवस्था नहीं होती, जिससे स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ रही हैं।
सरकार को संज्ञान लेने की जरूरत
अगर प्रशासन अवैध निर्माणों पर रोक नहीं लगाता है, तो यह शहर के बुनियादी ढांचे के लिए घातक साबित हो सकता है। सरकार को चाहिए कि:
- सहारनपुर विकास प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारियों की जांच कर उनके खिलाफ कार्रवाई करे।
- अवैध निर्माण को गिराने के लिए सख्त अभियान चलाया जाए।
- स्थानीय नागरिकों को अवैध निर्माण के खिलाफ शिकायत करने के लिए हेल्पलाइन उपलब्ध कराई जाए।
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(रिपोर्ट: वंदे भारत लाइव न्यूज़)