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शाहजहांपुर: वृद्ध विधवा की भूमि पर रसूखदारों का अवैध कब्जा, प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता ने महिला को खुद संघर्ष करने पर किया मजबूर

शाहजहांपुर जिले के थाना खुटार क्षेत्र में एक वृद्ध विधवा महिला की भूमि पर रसूखदारों द्वारा अवैध कब्जा किए जाने का मामला सामने आया है।

शाहजहांपुर: वृद्ध विधवा की भूमि पर रसूखदारों का अवैध कब्जा, प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता ने महिला को खुद संघर्ष करने पर किया मजबूर

शाहजहांपुर, 10 फरवरी 2025 – शाहजहांपुर जिले के थाना खुटार क्षेत्र में एक वृद्ध विधवा महिला की भूमि पर रसूखदारों द्वारा अवैध कब्जा किए जाने का मामला सामने आया है। महिला की बार-बार प्रशासन से फरियाद करने के बावजूद पुलिस और प्रशासन ने कोई सख्त कदम नहीं उठाया, जिससे महिला को खुद ही अपनी भूमि की रक्षा के लिए कड़ा कदम उठाना पड़ा। अब यह मामला एक गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है कि क्या शासन और प्रशासन असहाय और कमजोर लोगों की मदद करने में सक्षम हैं, या फिर शक्तिशाली लोगों के दबाव में आकर उनका समर्थन करते हैं?

महिला की भूमि पर कब्जा और प्रशासन की खामोशी

रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी की विधवा महिला के मुताबिक, उसने पहले प्रशासन और पुलिस को इस अवैध कब्जे के बारे में सूचित किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। रसूखदारों ने महिला की भूमि पर बेतहाशा अवैध निर्माण शुरू कर दिया था। जब प्रशासन और पुलिस दोनों ने मामले पर कोई ध्यान नहीं दिया, तो महिला ने खुद ही अपनी भूमि पर पहुंचे और अवैध निर्माण को रोकने की कोशिश की। इस संघर्ष में उसने प्रशासन से मिली निराशा और अपने अधिकार की रक्षा के लिए साहसिक कदम उठाया।

महिला का साहस: खुद अवैध निर्माण को रोका

महिला ने प्रशासन और पुलिस के तमाशबीन रवैये से तंग आकर खुद अपनी भूमि पर पहुंचे और अवैध निर्माण रुकवाने के लिए विरोध किया। इस साहसिक कदम ने आसपास के लोगों और प्रशासन को चौंका दिया। महिला के इस संघर्ष को देखकर अब यह सवाल उठता है कि अगर एक अकेली महिला अपनी भूमि के लिए संघर्ष कर सकती है, तो प्रशासन और पुलिस को अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं समझनी चाहिए?

प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल

महिला ने बार-बार प्रशासन से न्याय की मांग की, लेकिन उसने महसूस किया कि उसकी आवाज को कोई नहीं सुन रहा है। इसका सीधा सा मतलब यह है कि प्रशासन और पुलिस केवल बड़े रसूखदारों के पक्ष में खड़े रहते हैं, जबकि गरीब और असहाय जनता को अपने अधिकारों के लिए खुद ही संघर्ष करना पड़ता है। क्या पुलिस और प्रशासन उस महिला की मदद कर सकते थे, जो अपनी ज़मीन का अधिकार खोने के कगार पर थी? या फिर प्रशासन अपने कर्तव्यों में असफल रहा?

राज्य सरकार से फरियाद

महिला ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से भी मदद की गुहार लगाई है। उसने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से यह सवाल किया है कि आखिरकार वह क्या कदम उठाएंगे ताकि ऐसे मामलों में कोई गरीब अपनी भूमि को बचाने के लिए खुद से संघर्ष न करे। वह पूछ रही है कि सरकार के महिला सुरक्षा और अधिकारों के वादे कहां गए?

क्या होगा इस मामले का अंत?

अब यह देखना बाकी है कि प्रशासन और पुलिस इस गंभीर मामले पर क्या कार्रवाई करते हैं। क्या महिला के संघर्ष को देखते हुए प्रशासन कार्रवाई करेगा और उसकी भूमि की रक्षा करेगा? या फिर यह मामला एक और उदाहरण बनेगा, जहां प्रभावशाली लोगों के दबाव में प्रशासन चुपचाप बैठा रहेगा?

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(रिपोर्ट: वंदे भारत लाइव न्यूज़)

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