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सागर। वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज संवाददाता सुशील द्विवेदी ।जिले के बंडा स्थित गांव पटौआ में बच्चों के अभिभावकों के बीच यह धारणा थी कि आंगनवाड़ी केंद्र केवल भोजन उपलब्ध कराता है। इसलिए वे बच्चों को वहां भेजने के बजाय घर पर ही खाना खिलाना बेहतर समझते थे। परन्तु कलेक्टर संदीप जी आर के प्रयासों एवं पिछले वर्ष जनवरी में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अंजली मिश्रा एवं सहायिका माया ठाकुर नियुक्ति के बाद अभिभावकों को बच्चों के साथ आंगनवाड़ी आने के लिए प्रोत्साहित किया। केंद्र में मैंने बच्चों को कहानियाँ सुनाईं, कविताएँ सिखाईं और खेल खिलाए। इससे अभिभावकों को एहसास हुआ कि आंगनवाड़ी में बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए कई गतिविधियाँ होती हैं। अब वे नियमित रूप से अपने बच्चों को केंद्र भेजने लगे हैं। आंगनवाड़ी की एक बच्ची साक्षी अहिरवार की कहानी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। डेढ़ साल की साक्षी का वजन केवल 5 किलो था और वह केवल बिस्किट खाती थी। मैंने उसकी दादी को नियमित रूप से पोषणयुक्त भोजन देने के लिए समझाया, लेकिन उन्होंने अस्पताल में भर्ती कराने से इनकार कर दिया क्योंकि उनका मानना था कि सरकारी इलाज प्रभावी नहीं होता। एक दिन जब साक्षी की तबीयत गंभीर रूप से बिगड़ गई, तब परिवार उसे सागर के अस्पताल लेकर गया। वहाँ 15 दिनों के इलाज के बाद उसका वजन 4 किलो बढ़ गया। इस सुधार ने परिवार का दृष्टिकोण पूरी तरह बदल दिया। अब वे मानते हैं कि आंगनवाड़ी और वहाँ दी जाने वाली देखभाल बच्चों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस तरह साक्षी के परिवार सहित पूरे गांव के लोगों को आंगनवाड़ी केंद्र के महत्व को समझने में मदद की और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक नई दिशा प्रदान की।