
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन को दी जाने सैन्य सहायता पर रोक लगा दी है। उन्होंने ये रोक तब तक लगा दी है, जब तक कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की रूस के साथ युद्ध समाप्त करने की प्रतिबद्धता नहीं दिखा देते। अधिकारियों का हवाला देते हुए, फॉक्स न्यूज ने बताया कि यह आदेश जल्द ही आने वाला है। राष्ट्रपति ट्रंप मंगलवार शाम को अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए यूक्रेन के मुद्दे पर बात करेंगे। यह बात कनाडा और मैक्सिको से आयात पर 25 प्रतिशत और चीन से आयात पर 20 प्रतिशत टैरिफ वृद्धि लागू होने के कुछ घंटों बाद कही गई है।
जेलेंस्की को लेकर क्या बोले ट्रंप?
व्हाइट हाउस में जब ट्रंप से पूछा गया कि यूक्रेन के साथ खनिजों के संसाधनों पर अधिकार सुरक्षित करने के लिए वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए क्या करना होगा, तो उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि आपको अधिक सराहना करनी चाहिए, क्योंकि यह देश हर अच्छे-बुरे समय में उनके साथ खड़ा रहा है।’ लंदन में राष्ट्रपति जेलेंस्की की इस टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कि उन्हें डर है कि रूस के साथ युद्ध लंबे समय तक चलने वाला है, राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यूक्रेनी नेता सही नहीं हैं।
जेलेंस्की के साथ दूरी बनाना चाहते हैं ट्रंप
ट्रंप ने आगे कहा कि रूस युद्ध को समाप्त करना चाहता है और यूक्रेन के लोग भी ऐसा ही चाहते हैं, वे जेलेंस्की और उनके देश के बीच दूरी बनाना चाहते हैं, एक ऐसी लाइन जो उनके रिपब्लिकन समर्थकों के बीच प्रमुखता से चल रही है। ट्रंप ने कुछ सप्ताह पहले जेलेंस्की को तानाशाह कहा था और सुझाव दिया था कि वे चुनाव नहीं करवा रहे हैं क्योंकि उन्हें हारने का डर है।
जेलेंस्की के इस्तीफे की मांग
ओवल ऑफिस में शुक्रवार को हुए विस्फोट के बाद, रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम, जो 2022 के रूसी आक्रमण के खिलाफ यूक्रेन की लड़ाई के कट्टर समर्थक रहे हैं, लेकिन जिन्हें देश और विदेश में एक अस्थिर सहयोगी और मित्र के रूप में भी जाना जाता है ने जेलेंस्की को पद छोड़ने के लिए कहा। इसके बाद जेलेंस्की ने कहा है कि वे केवल यूक्रेनी मतदाताओं को जवाब देते हैं। उन्होंने ग्राहम को यूक्रेनी नागरिकता का ऑफर दिया ताकि वे वास्तव में उन्हें बाहर करने के लिए मतदान कर सकें। बता दें किअमेरिका की ओर से यूक्रेन को दी गई मदद के बदले ट्रंप ने मिनरल डील की मांग की थी। क्योंकि यूक्रेन में लिथियम और दुर्लभ खनिजों का भंडार है जो अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण है।
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, ‘यूरोप ने यूक्रेन की रक्षा के लिए जितना पैसा खर्च किया है, उससे कहीं ज्यादा वह रूस से तेल और गैस खरीद चुका है. कई गुना ज्यादा.’ पिछले सप्ताह फिनलैंड स्थित सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) ने एक रिपोर्ट जारी की थी. इसमें बताया गया था कि यूरोपीय संघ के देशों ने पिछले साल रूस से 23 अरब डॉलर का जीवाश्म ईंधन खरीदा, जो 2023 की तुलना में सिर्फ एक फीसदी की गिरावट है. इसी दौरान यूरोप ने 19.6 अरब डॉलर की सहायता यूक्रेन को भेजी. 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद से, रूस ने पेट्रोलियम और अन्य जीवाश्म ईंधनों से लगभग 888.5 अरब डॉलर कमाए.
कौन खरीद रहा कितना तेल
रूस की कुल जीडीपी 2023 में लगभग 2.2 ट्रिलियन डॉलर थी, जो कि उसके तेल और गैस निर्यात से होने वाली आय की तुलना में कहीं ज्यादा नहीं थी. न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक रूस के सबसे बड़े तेल खरीदारों में चीन (81.8 अरब डॉलर), भारत (51.5 अरब डॉलर) और तुर्की (35.6 अरब डॉलर) शामिल हैं. भारत की ओर से रूसी जीवाश्म ईंधन की खरीद 2023 की तुलना में 8 फीसदी बढ़ गई है. जबकि तुर्की की खरीद 6 फीसदी बढ़ी है. CREA ने यह भी चेतावनी दी कि रूस का कुल तेल निर्यात का 61 फीसदी शैडो जहाजों के जरिए हो रहा है.
अब तक कितनी मदद दी गई?
युद्ध शुरू होने के बाद से यूरोप ने यूक्रेन की मदद के लिए 138.7 अरब डॉलर और अमेरिका ने 119.7 अरब डॉलर दिए हैं. अमेरिकी रक्षा विभाग के मुताबिक, अमेरिका का कुल योगदान 182.8 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है. ट्रंप लंबे समय से इस बात को लेकर नाराजगी जताते रहे हैं कि यूरोपीय देशों ने अपनी धरती पर चल रहे इस युद्ध को रोकने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए. पिछले सप्ताह ओवल ऑफिस में जेलेंस्की और ट्रंप के बीच जोरदार बहस हुई थी, जिसके बाद अमेरिका और यूक्रेन के बीच होने वाली मिनरल डील नहीं हो सकी.