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लीज पर अनियमित भू गर्भ उत्खनन भी अवैध

शहडोल संभाग में बाबा महाकाल और सहकार ग्लोबल की दबंगई :- डा प्रणय तिवारी
पर्यावरण, वन, जलवायु परिवर्तन मंत्रालय दिल्ली तक लिखित
शहडोल ‌/उमरिया:- पर्यावरण प्रदूषण विभाग ‌जो प्रतिवेदन में देता है लीज हमनें नहीं उत्खनन विभाग ने‌ दी है,और यही हाल जल पारिस्थितिकी तंत्र तथा वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम ,जल संसाधन विभाग की रक्षा का दामन थामे रखने वाले विभागों का है तो निष्कर्ष अब कोर्ट की‌ बहस का मुद्दा बन गया ‌है चाहे वो राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हो‌ या केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हो जब लीज जारी होती है तो पर्यावरण , पारिस्थितिकी तंत्र को नुक्सान न पहुंचे जीव‌ जगत भौगोलिक स्थिति प्रभावित न हो इस शर्त पर कई औपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद ही दी जाती है, इसीलिए म प्र खनिज न्यायालय,एम पी माइनिंग खनिज विभाग, खनिज साधन विभाग,खनन‌ निगम,भौमिकी एवं खनिकर्म निदेशालय जबलपुर, इन्दौर,रीवा, ग्वालियर को‌ मौलिक अधिकारों के तहत पत्राचार भी लगातार जारी हैं सभी 50 जिलो में कलेक्टरों के निर्देशन में खनिज शाखाएं काम करती हैं इसके अलावा म प्र खनिज निगम लिमिटेड भी है ।
भले ही लीज उत्खनन विभाग जारी करता है वैधानिकता पूर्वक परंतु उसके उत्खनन से प्रभावित होने वाले विभाग की बिना एन ओ सी यह संभव हो ही नहीं सकता अन्यथा वन,पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय इन विभागों को नोटिस ही क्यो भेजता,कृषि विभाग भी अंधाधुंध उत्खनन के दुष्प्रभाव से बाहर नहीं है एवं‌ भू जल स्तर हेतु जल संसाधन विभाग और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग भी बाहर नहीं है ,यदि विभाग मौन बैठे हैं तो माननीय न्यायालयों में जवाब देने के लिए भी तैयार रहें क्योंकि ओवरलोडिंग नापने के लिए नाप तौल विज्ञान लेखा परीक्षक फिर बनाया क्यो गया है क्या इनकी भूमिका पर सवाल खड़े नहीं होते इनके लिए ई ओ डब्ल्यू से भी जांच करवाई जा सकती है , जब सभी विभागों को उत्खनन विभाग ही देखेगा तो प्रभावित की‌ श्रेणी में आने वाले विभागों को सारा प्रभार उत्खनन विभाग को ही दे देना चाहिए , अवैध उत्खनन चाहे वो पत्थरों का हो,मिट्टी का हो,रेत का हो या मुरुम का हो वायु गुणवत्ता सूचकांक की जिम्मेदारी किसकी,कृषि भूमि अनुपजाऊ हो जिम्मेदारी किसकी,भू जल का घटता स्तर और घातक केमिकल जिम्मेदारी किसकी , बिगड़ते पर्यावरण और पारिस्थितिकी संतुलन की जिम्मेदारी किसकी 181 और पी जी पोर्टल पर तो मनमाना प्रतिवेदन दर्ज करना या अपने विभागीय दायित्वों की जिम्मेदारी, दूसरे विभागों को देकर जागरूक नागरिकों को भ्रामक स्थिति में डालना या दोषारोपण मथना षड़यंत्र रचना ये सब माननीय न्यायालय के समक्ष अपराध की श्रेणी में ही रखकर निर्णय दिए जाएंगे

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