
वंदेभारतलाइवटीव न्युज नागपुर-: हिन्दी भाषा को लेकर तमिलनाडु में शुरू हुए बहस के बाद अब महाराष्ट्र में भी हिन्दी भाषा को लेकर गहमागहमी शुरू हो चूकी है। दरअसल महाराष्ट्र में नये शिक्षा सत्र 2025-26 से महाराष्ट्र की राज्य सरकार ने मराठी और अंग्रेजी भाषा के स्कूलों में अब कक्षा पांचवीं तक तीसरी भाषा के रूप में स्कूलों में हिन्दी पढ़ाना अनिवार्य कर दिया है। राज्य सरकार के इस फैसले के बाद ही राज्य में इसका विरोध भी शुरू हो गया है। महाराष्ट्र नव निर्माण सेना और कांग्रेस पार्टी ने राज्य सरकार के इस फैसले का विरोध शुरू कर दिया है। महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। नई शिक्षा नीति में महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिन्दी भाषा पढ़ाना अनिवार्य कर दिया है। राज्य स्कूल पाठ्यक्रम 2024″के अनुसार मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा पहली से पांचवीं तक के छात्रों को मराठी और अंग्रेजी भाषा के साथ ही तीसरी भाषा के रूप में हिन्दी भी पढ़ाई जायेगी। इसके साथ ही अन्य माध्यमों के स्कूलों में कक्षा पहली से पांचवीं तक के लिए तीन भाषाएं होंगी।।महाराष्ट्र सरकार का निर्णय जून में शूरू होने वाले नये शिक्षा सत्र से यह लागू हो जायेगी। राज्य के स्कूलों में हिन्दी भाषा पढ़ाने का निर्णय समर्थन किया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस जी ने कहा कि हिन्दी भाषा देश में संवाद करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। महाराष्ट्र में रहने वालों को मराठी भाषा आनी चाहिए परन्तु महाराष्ट्र के बाहर संवाद स्थापित करने के लिए हिन्दी भी सीखना चाहिए। महाराष्ट्र नव निर्माण सेना ने इसका विरोध करते हुए इस निर्णय को राज्य में हिन्दी करण वाला बताया। राजठाकरे ने कहा कि हम सरकार के हिन्दी करण करने के प्रयासों को राज्य में सफल नही होने देंगेः। तमिलनाडु से शुरू हुए हिन्दी भाषा के विरोध के बाद अब महाराष्ट्र में भी हिन्दी भाषा को लेकर विरोध शुरू हो चुका है। भाषा को लेकर शुरू हुई यह बयानबाजी और विरोध कहां तक पहुंचती है, कितनी सफलता, असफलता मिलती है यह आने वाला समय ही तय कर सकता है। वैसे अपने देशी की भाषा को सीखने और बोलने मे कोई परेशानी नही होनी चाहिए। राजनीतिक बहसबाजी हर जगह होती रहती है। आम जनता देश की जनता को यह सोचना होगा क्या सही है क्या करना अच्छा है।