
बैंक और उद्योग विभाग में कमीशनखोरी का खेल? एक्सीडेंटल युवक के साथ कथित दुर्व्यवहार पर उठे सवाल
अम्बेडकरनगर,
मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास योजना के अंतर्गत टाण्डा क्षेत्र के ग्राम बिहरोजपुर निवासी जितेन्द्र यादव द्वारा नमकीन निर्माण इकाई हेतु किए गए आवेदन पर ऋण स्वीकृति मिलने के बाद अब भ्रष्टाचार और शारीरिक भेदभाव के गंभीर आरोप सामने आ रहे हैं।
जितेन्द्र यादव का कहना है कि ऋण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद पंजाब नेशनल बैंक, महामाया मेडिकल कॉलेज शाखा के अधिकारियों ने उनसे पाँच लाख रुपये का डिपॉजिट या डिमांड ड्राफ्ट मांगा—जो कि स्वीकृत राशि के बराबर है। असमर्थता जताने पर कथित तौर पर उनसे 50 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की गई, जिसमें एक हिस्सा जिला उद्योग विभाग के अधिकारियों तक पहुँचाने की बात भी कही गई।
जब यादव ने इसकी शिकायत जिला उद्योग प्रोत्साहन एवं उद्यमिता विकास केन्द्र में दर्ज कराई, तो जवाब में बैंक प्रबंधक ने एक नई दलील पेश की—कि यादव “फिजिकली फिट” नहीं हैं और व्यवसाय संचालन में अक्षम हैं। जबकि यादव का कहना है कि पिछले वर्ष हुए सड़क हादसे के बाद भी वह स्वावलंबन की राह पर हैं और उद्यमिता के लिए पूर्णत: सक्षम हैं।
यहाँ यह सवाल उठना लाज़मी है कि—
क्या किसी एक्सीडेंटल व्यक्ति को केवल उसकी शारीरिक स्थिति के आधार पर अयोग्य ठहराना न्यायसंगत है?
क्या सरकारी योजनाएं इसीलिए हैं कि कोई घूस न दे, तो उसे दरकिनार कर दिया जाए?
इस पूरे प्रकरण में बैंक और उद्योग विभाग के कुछ कर्मचारियों की कथित मिलीभगत से योजनाओं को व्यक्तिगत लाभ के लिए मोड़े जाने का गंभीर आरोप भी सामने आया है।
अब ज़रूरत है एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सरकारी योजनाएं वंचितों तक पहुंचे, न कि भ्रष्टाचार के दलदल में डूब जाएं।