
सागर। वंदे भारत लाईव टीवी न्यूज रिपोर्टर सुशील द्विवेदी ,8225072664- “गिरे हुए लोग”
गिरे हुए लोग भी क्या खूब होते हैं,
ज़मीर भले गिरा हो, चाल बड़ी ऊँची होती है।
दूसरों की कमज़ोरी पर हँसना जिनकी आदत होती है,
अक़्ल उनकी छुट्टी पर, ज़ुबान ‘ऑन ड्यूटी’ होती है।
ये लोग अक्सर आईने से डरते हैं,
क्योंकि वहाँ सच दिखाई देता है।
अपने गिरेपन को छुपाने के लिए,
ये दूसरों की अच्छाइयों पर कीचड़ उछालते हैं।
नीचता की ऊँचाई पर चढ़े ये ज्ञानी,
हर बात में ढूँढते हैं कोई कहानी।
खुद चाहे कुछ न कर पाए ज़िंदगी में,
दूसरों की कामयाबी में लगाएँ आग पानी।
जो गिरे हुए हैं, वो उठ भी सकते हैं –
अगर चाहें तो।
पर कुछ तो ऐसे होते हैं,
जो खुद नहीं उठते,
बल्कि दूसरों को भी गिराने में ही
अपनी ऊँचाई ढूँढते हैं।
[yop_poll id="10"]