
मंडला एक महिला ही है जो एक बेटी एक मां एक बहू और सबसे बड़ी बात बेटा ना होने पर बेटा का फर्ज भी निभाती है एक महिला से सभी को सबसे ज्यादा अपेक्षाएं होती है चाहे घर हो या समाज सभी चाहते हैं महिलाएं घर का भी कम करें बाहर का भी कम करें इसमें हर महिलाएं परफेक्ट होती है क्योंकि बचपन से हमारे समाज में लड़कियों को सिखाया जाता है यही उनका धर्म है प्राचीन समय हो या मध्यकालीन समय हो या आधुनिक समय महिलाओं की जीवन में कुछ खास बदलाव नहीं हुआ है शिक्षा बेटियों को पढ़ाया जाता है आज बहुत सारे योजनाएं है बेटियों को स्कूल तक पहुंच रही है परंतु वास्तव में उनकी मानसिक विकास की बात करें तो लगता है अभी भी काफी सुधार होना बाकी है लगता है घर में सभी चाहते हैं काम धाम में दक्ष रहे साथ में पढ़ाई करें लेकिन बाहर निकलते ही समाज और लोगों के नजरिए के अनुसार बदलना होता है जैसे वह चाहते हैं स्कूल पहुंचाने तक उसे एक लड़की होने का एहसास दिलाया जाता है उसके बाद अपने आप को पढ़ने के लिए तैयार करती है माना की आज लड़कियों लड़का से पढ़ाई में ज्यादा आगे है शायद इसलिए भी क्योंकि उन्हें हर मुश्किल का सामना करना पड़ता है पर समानता का अधिकार अभी भी पूरी नहीं है क्योंकि शिक्षित होने के बाद भी महिलाएं अपने अधिकार के बारे में जानकारी नहीं रखती सोशल मीडिया सोशल मीडिया आज के जमाने में बहुत जरूरी हो गया है इसे सही और समझदारी से उपयोग करने पर आज महिलाओं के साथ जो अपराध बढ़ रही है उसमें सोशल मीडिया का बहुत बड़ा हाथ है समाज में बच्चों से लेकर बड़ों तक सोशल मीडिया के माध्यम से अपवहारिक बातें पहुंच रही है जिनका समाज में खास तौर पर काम उम्र की बच्चियों पर गलत असर पड़ रहा है साथ ही गलत हो रहा है राजनीतिक क्षेत्र राजनीतिक क्षेत्र में आज भी महिलाओं का नाम मात्र है पंचायत से लेकर संसद तक महिलाओं को स्थान दिया गया है पर ज्यादातर उनके स्थान पर किसी पुरुष को ही स्थान दे दी जाती है