
- बुंदेलखंड में किसान भूखे खेत प्यासे सपने — खाद के लिए मची मारामारी, प्रशासन मौन
बुंदेलखंड में खाद संकट गहराया, जदयू उपाध्यक्ष शालिनी सिंह पटेल ने मुख्यमंत्री को पत्र भेज त्वरित राहत की मांग की
बाँदा
खरीफ की बुआई के नाज़ुक दौर में बुंदेलखंड के किसान खाद और उर्वरक की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं। बाँदा, चित्रकूट और महोबा सहित कई जिलों में किसानों को सहकारी समितियों और वितरण केंद्रों से खाद नहीं मिल रही है। किसान घंटों लाइन में खड़े रहने के बावजूद खाली हाथ लौट रहे हैं। कई स्थानों पर कालाबाज़ारी, भेदभाव और सिफारिश की शिकायतें सामने आई हैं। बुज़ुर्ग किसान बेहोश हो रहे हैं, खेतों की मिट्टी तैयार है लेकिन खाद के बिना बुआई रुकी पड़ी है। इस गंभीर स्थिति पर जनता दल यूनाइटेड की प्रदेश उपाध्यक्ष एवं बुंदेलखंड प्रभारी शालिनी सिंह पटेल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक विस्तृत पत्र भेजकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि यह संकट केवल खाद की थैली का नहीं बल्कि किसान की आत्मा, खेत की हरियाली और देश की खाद्य सुरक्षा का संकट है। उन्होंने बाँदा, चित्रकूट और महोबा के अनेक खाद वितरण केंद्रों का निरीक्षण कर हालात का प्रत्यक्ष अवलोकन किया और पाया कि कहीं खाद की आपूर्ति ही नहीं हो रही तो कहीं वितरण प्रक्रिया में घोर अनियमितता है। पत्र में शालिनी सिंह पटेल ने मुख्यमंत्री से चार प्रमुख मांगें रखी हैं—प्रदेश में खाद की आपात आपूर्ति की जाए, वितरण प्रणाली की निगरानी के लिए विशेष टास्क फोर्स गठित हो, भ्रष्ट डीलरों और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और किसानों के लिए हेल्पलाइन व विशेष शिविर संचालित किए जाएं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि इस संकट को हल्के में लिया गया तो इसका प्रभाव केवल कृषि तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह ग्रामीण सामाजिक ढांचे और अर्थव्यवस्था को भी गहराई से प्रभावित करेगा। किसान खेत में केवल बीज नहीं बोता, वह अपने परिवार की उम्मीदें बोता है और सरकार का कर्तव्य है कि उस उम्मीद को खाद और विश्वास मिले। यह पत्र रजिस्टर्ड डाक से मुख्यमंत्री को प्रेषित किया गया है और इसकी प्रतिलिपि विभागीय अधिकारियों को भी भेजी गई है।