
श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय कुरुक्षेत् के सभागार कक्ष में शनिवार को द्रव्यगुण विभाग का टीचर्स कैपेसिटी बिल्डिंग कार्यशाला का आयोजन हुआ। जिसका शुभारंभ मुख्यातिथि कुलसचिव डॉ. नरेश भार्गव ने भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर किया। डीन ऑफ एकेडमिक अफेयर्स डॉ. जेके पंडा ने उपस्थित गणमान्य अतिथियों एवं आयुष विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों से उपस्थित शिक्षकों का स्वागत किया। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. नरेश भार्गव ने कहा कि अध्यापक भावी भविष्य के कर्णधार होते हैं। केवल शिक्षा ही नहीं बच्चे संस्कारवान भी बने यह दायित्व भी शिक्षकों का होता है। इसलिए शिक्षकों को निरंतर क्रियाशील बने रहना होगा। उन्होंने कहा कि भारत की पुरातन शिक्षा व्यवस्था में प्रकृति और संस्कृति शिक्षा का मूल आधार थी। आज आवश्यकता भारतीय संस्कारों से परिपूर्ण शिक्षा व्यवस्था की है शिक्षकों के प्रयत्न द्वारा ही भारत अपना पुरान गौरव प्राप्त कर सकता है। रिसर्च एंड इनोवेशन विभाग के डायरेक्टर डॉ. अनिल शर्मा ने कहा कि शिक्षा का अर्थ केवल कक्षा तक सीमित नहीं है अन्वेषण से सार्थकता को प्राप्त करना है ताकि विद्यार्थियों में ज्ञान के प्रति रूची बढ़े और शिक्षक विद्या को जनसामान्य तक सरलतम रूप में पहुंचाने का कार्य कर सकें। कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के तौर पर जयपुर, एनआईए के एसोसिएट प्रो. डॉ. सुदिप्त रथ और पुणे भारती विद्यापीठ की प्रो. डॉ. मानसी देशपांडे एवं सीडीएल कॉलेज ऑफ आयुर्वेद की प्रो. डॉ. सोनिया धीमान रही। इस अवसर डॉ. सत्येंद्र सांगवान डॉ. अशोक अरोड़ा और पीजी स्कॉलर उपस्थित रहे।