
काम छोड़िए ग्राम सचिवालय को अंदर से देखना भी मुहाल
अम्बेडकरनगर
भले ही प्रदेश सरकार गांव गांव में ग्राम सचिवालयों की स्थापना कर, लोगों के कामों को सरल बनाने के लिए लाखों रुपये खर्च करते हुए ग्राम सचिवालय का निर्माण करवा दिया हो, पंचायत सहायक भी नियुक्त किए गए हैं लेकिन इसका लाभ आम लोगों को नहीं मिल रहा है। हालत यह है कि अधिकतर पंचायत भवनों (मिनी सचिवालय) पर ताले लटक रहे हैं। ग्राम प्रधान अपने साथ झोले में मुहर और अन्य कागजात रखते हैं और जरूरत पड़ने पर किसी प्रमाणपत्र जारी कर देते हैं।लेकिन विभागीय कर्मचारियों और ग्राम प्रधानों के मनमानी के कारण इन ग्राम सचिवालयों में लोगों को लाभ नहीं मिल रहा है। क्षेत्र के किसी भी ग्राम सचिवालय में लोगों के किसी भी तरह के जरूरी काम नहीं किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं ग्रामवासी ग्राम सचिवालय में घुस कर उसको ठीक से देख भी नहीं पा रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण अकबरपुर विकासखंड का ग्राम पंचायत नवगवां, सिसवा,हसनपुर है।ये ग्राम पंचायत सचिवालय मात्र शो पीस बन कर रह गये हैं।एक तरह से गांव की सरकार पंचायत भवन में नहीं बल्कि झोले में है। ऐसी स्थिति 80 फीसदी ग्राम पंचायतों की है। जबकि गांव की सरकार झोले में है।