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सिंहवाहिनी देवी की महिमा* *आल्हा छंद में

सिंहवाहिनी देवी की महिमा* *आल्हा छंद में

*सिंहवाहिनी देवी की महिमा*
*आल्हा छंद में*

कर प्रणाम हे मातु शारदे, महिमा गाऊँ एक महान।
मेरी त्रुटि को क्षमा करो माँ,अल्प बुद्धि का बालक जान।।
मैहर जिला अमरपाटन में, जरमोहरा गाँव का नाम।
सिंहवाहिनी देवी बसती, माता का वह सुंदर धाम।।

है इतिहास पुराना इसका, कहते बड़े बुजुर्ग सुजान।
बगहाई है गाँव पुराना, पहले माँ का वह स्थान।।
एक पुरुष के मन में आया, माँ को लेकर चलूं मैं गाँव।
जन्म भूमि थी चपना उसकी, कर विचार वह बैठा छाँव।।

बगहाई से लेकर माँ को, चला है चपना अपने गाँव।
जय माता दी कहता जाये, चलता जाये नंगे पाँव।।
जरमोहरा गाँव बीच में, लघुशंका का किया विचार।
रखा वही पर माँ को उसने,आम पेड़ था शुभ फलदार।।

फिर से आकर लगा उठाने, मन में इच्छा प्रबल बनाय।
लेकिन माता उठी नहीं फिर, कितना भी वह जोर लगाय।।
बहे पसीना पानी जैसे, थका हार वह बैठा जाय।
दिया संदेशा चपना में जा, करो सहाय आप सब आय।।

वासी चपना के सब आये, उसकी सुनकर करुण पुकार।
वह भी माँ को लगे उठाने, लेकिन वह सब भी गए हार।।
हाथ जोड़ सब लगे मनाने, हे माँ चलो हमारे द्वार।
तब भी माता नहीं उठी हैं, चले सभी जन कर जयकार।।

तब से माता वहीं विराजें, जरमोहरा गाँव वह धाम।
दर्शन करने भक्त पधारें, जय माता दी लेकर नाम।।
करें मुरादें पूरी माता, जो भी आता माँ के द्वार।
रोहित पाठक दर पे बैठे, हे माँ मेरी सुनों पुकार।।

*रचना आचार्य प्रदीप पाठक”सारथी जी “*

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