बांटने वाली ताकतों के खिलाफ जौनपुर के सामाजिक कार्यकर्ताओं का साझा संदेश
साझी विरासत को बचाने के लिए उठी एकजुटता की आवाज
जौनपुर। रविवार शाम को नगर के राष्ट्रमंडल स्थित रामेश्वर शिशु विहार के हाल में इंस्टीट्यूट फॉर सोशल डेमोक्रेसी (आईएसडी) की ओर से आयोजित सामाजिक कार्यकर्ताओं की बैठक में जौनपुर की साझी विरासत और सूफी परंपरा को जीवित रखने की दिशा में जागरूकता फैलाने की रणनीति तय की गई। वक्ताओं ने कहा कि सामाजिक ताने-बाने पर मंडरा रहे संकट को जागरूकता से ही दूर किया जा सकता है।
जौनपुर की साझी विरासत पर अजय सिंह ने कहा कि इब्राहिम शाह शर्की से लेकर अकबर तक, जौनपुर ने हमेशा गंगा-जमुनी तहजीब को संजोया है। लेकिन अफसोस है कि समाज को तोड़ने वाली ताकतें आज इस परंपरा पर हमला कर रही हैं। अब समय आ गया है कि अमनपसंद लोग और बुद्धिजीवी आगे आकर इन चुनौतियों का मुकाबला करें और लोगों को जागरूक करें।
बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष संजय उपाध्याय ने कहा, जौनपुर सूफियों की धरती रही है। यहाँ हर धर्म के लोग मिलजुल कर रहते हैं, और इसी साझा मिजाज ने समाज को एक मजबूत ढांचे में पिरोया है। हमें इसी जागरूकता से आज की समस्याओं का समाधान निकालना होगा।”
दिल्ली से आए आईएसडी के सुरेन्द्र रावत ने वर्तमान सामाजिक स्पेस को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि आज जब समाज में विभाजन की ताकतें प्रभावी हो रही हैं, तो बच्चों में सांप्रदायिकता के प्रति समझ पैदा करना बेहद जरूरी है, ताकि वे किसी के भी इस्तेमाल का शिकार न बनें।
वरिष्ठ पत्रकार आनंद देव ने फेक न्यूज़ से उपजे संकट पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, आज हर दिन देश के अलग-अलग हिस्सों से फेक न्यूज़ आ रही हैं, जो सामाजिक ताने-बाने पर प्रहार कर रही हैं। ऐसे में पत्रकारों की जिम्मेदारी है कि वे खबरों को जांच-परख कर ही आगे बढ़ाएं, ताकि सांप्रदायिक सौहार्द को खतरे से बचाया जा सके।
बैठक में आईएसडी दिल्ली के नीरज शर्मा, सिराज अहमद, इरफान जौनपुरी, एडवोकेट मंजू शास्त्री, कमाल आज़मी, अरशद मंसूरी, शबनम, मोहम्मद अकरम, तारिक सफीक ने अपने-अपने अनुभव साझा किए। अंत में निसार अहमद ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया और इस साझी विरासत को संजोने के संकल्प के साथ बैठक का समापन हुआ।