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नव वर्ष का आगमन हमारे जीवन में एक नई ऊर्जा, आशा, नए स्वप्न और नई आकांक्षाओं को लेकर आता है – डाॅ ब्रजेश कुमार मिश्र

नई आशाओं के साथ नए साल 2025 का भव्य स्वागत

गडहनी। नव वर्ष का आगमन हमारे जीवन में एक नई ऊर्जा, आशा, नए स्वप्न और नई आकांक्षाओं को लेकर आता है। आज का यह एक जनवरी अंतरराष्ट्रीय नव वर्ष के रूप में हम मना रहे हैं जो बसुधैव कुटुम्बकम को चरितार्थ करता है। सारा विश्व एक प्रेम के रूप में बंध सकता है यदि संसार के सभी लोग एक दूसरे से वैसे ही प्रेम करें जैसे अपने परिवार को प्रेम करते हों। आज का दिन काफी हर्ष-उल्लास के साथ हम अपनी बाबू के साथ मनाएं हैं।नया साल या नव वर्ष एक त्योहार की तरह पूरे विश्व में अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है। पूरे विश्व में कई सम्प्रदाय हैं जो अपना नाव वर्ष अपने तरीके से मनाते हैं। नव वर्ष संप्रदायों को संस्कृतियों पर निर्भर करता है।
हिंदुओं का नव वर्ष चैत्र महीने में नवरात्रि के प्रथम दिवस यानी शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा को मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष पहली जनवरी को नव वर्ष अंतरराष्ट्रीय नववर्ष के रूप में मनाते हैं। भारत के विभिन्न्न भागों में नव वर्ष अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है। सिखों द्वारा नव निर्मित नानकशाही कैलेंडर के अनुसार सिख नववर्ष चैत्र संक्रांति को मनाया जाता है जबकि सौरमन वर्ष पद मानने वाले प्रान्त नए वर्ष के रूप में मेष संक्रांति अथवा बैशाख संक्रांति जिसे बैशाखी भी कहते हैं, इसी दिन नववर्ष मनाते हैं।कुछ प्रान्त तो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। कर्नाटक, आंध्रप्रदेश वाले इस युगादि को उगादी अपभ्रंश में कहते हैं। यह चैत्र महीना का प्रथम दिवस होता है साथ ही यह कश्मीरी नववर्ष भी है। सिंधी लोग इस दिन को चेटी चंड कहते हैं, सिंधी त्योहार चेटी चंड, उगादी, गुड़ी पड़वा एक ही दिन मनाया जाता है। सनातन धर्म चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष इसलिए भी मनाते हैं कि इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी,और राजा विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया था तथा इन्हीं के नाम से विक्रमी संवत का पहला दिन प्रारंभ होता है। सिखों के दूसरे गुरु श्री अंगददेव् जी जन्म भी इसी प्रतिपदा को हुआ था,युधिष्ठिर का राज्याभिषेक, प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक का दिन भी चैत्र की पहली तिथि ही थी। और अंत में शक्ति और भक्ति के नवरात्र का प्रथम दिवस भी है, इन्ही कारणों से सनातन धर्म चैत्र शुक्ल को नववर्ष के रूप में मनाते हैं। इस्लामिक कैलेंडर का नया साल मुहर्रम होता है, यह कैलेंडर चंद्र आधारित होता है। इस्लामिक नव वर्ष जिसे हिजरी नव वर्ष भी कहा जाता है, वह दिन है जो एक नए चंद्र हिजरी वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, और वह दिन है जिस दिन वर्ष की गिनती बढ़ाया जाता है। मुहर्रम के महीने के पहले दिन अधिकांश मुसलमानों द्वारा इस्लामी वर्ष का पहला दिन मनाया जाता है। इस्लामी युग का युग मुहम्मद साहब और उनके अनुयायियों के मक्का से मदीना प्रवास हिजरत के वर्ष के रूप में निर्धारित किया गया था, जिसे हिजरी के रूप में जाना जाता है। नववर्ष के रूप में ग्रेगरी कैलेंडर ही मान्य है जो अलग-अलग महीनों में पड़ता है जिसका कारण है कि बारह महीने का कैलेंडर तेतीस वर्षों में सौर कैलेंडर को एक बार घूम लेता है।

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