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मंडला MP हेमंत नायक✍️
#मंडला MP News गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने आदिवासी समाज के अधिकारों और न्याय की मांग को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय, प्रदेश, संभाग, जिला पदाधिकारी और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर कमलेश तेकाम ने बताया कि हाल ही में कान्हा क्षेत्र में हुई दुखद पुलिसिया कार्रवाई में बैगा जनजाति के निर्दोष युवक **हीरन सिंह परते** की मौत से आदिवासी समाज में जबरदस्त आक्रोश है। इस घटना के बाद से पूरे प्रदेश में विशेष रूप से बनाचल क्षेत्रों में आदिवासियों के मन में दहशत का माहौल है।
*सरकार की साजिश का आरोप*
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का कहना है कि सरकार आदिवासियों को जंगल से विस्थापित करने की साजिश रच रही है। पार्टी का आरोप है कि सरकार जंगलों के आसपास रहने वाले आदिवासियों को **नक्सली बताकर मुठभेड़ में मार रही है**, ताकि लोग डरकर इन क्षेत्रों को छोड़ दें और सरकार इन वनों के निजीकरण की अपनी योजना को आसानी से लागू कर सके। पार्टी का मानना है कि सरकार वनों को पूंजीपतियों के हवाले करना चाहती है, जिससे आदिवासी समाज की परंपरागत आजीविका और अस्तित्व पर संकट आ जाए।
*न्याय की मांग और प्रशासन की लापरवाही*
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने पहले भी जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की थी, लेकिन प्रशासन ने कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं की। इस कारण पार्टी ने मजबूर होकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। पार्टी की मांग है कि निम्न बिंदुओं पर विचार कर तत्काल निष्पक्ष जांच कराई जाए:
1. **फर्जी मुठभेड़ का खुलासा**
– 9 मार्च 2025 को कान्हा नेशनल पार्क, जिला मंडला में पुलिस ने फर्जी नक्सली मुठभेड़ में हीरन सिंह परते (बैगा जनजाति) को मार गिराने का दावा किया था।
– लेकिन पुलिस यह नहीं बता पाई कि मृतक किसी नक्सली संगठन में कब और कैसे शामिल हुआ था।
– किसी भी नक्सली गतिविधि में उसके संलिप्त होने का पुलिस के पास कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
2. **सरकार की स्वीकारोक्ति**
– प्रशासन ने मृतक के परिवार को **10 लाख रुपए का मुआवजा** देकर यह स्वीकार कर लिया है कि वह नक्सली नहीं था।
– इसके बावजूद सरकार इस फर्जी मुठभेड़ को स्वीकार नहीं कर रही और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
3. **राष्ट्रीय मानव की हत्या**
– बैगा जनजाति को सरकार ने राष्ट्रीय मानव घोषित किया है।
– ऐसे में एक निर्दोष राष्ट्रीय मानव की पुलिस के हाथों हत्या होना गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन है।
*सीबीआई जांच की मांग*
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने इस पूरे मामले की **सीबीआई जांच** कराने की मांग की है। पार्टी का कहना है कि यदि इस क्षेत्र में माओवादी होते, तो यह अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए खतरा बन सकता था, जिससे जिले के पर्यटन उद्योग और स्थानीय रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता। इसलिए, **इस क्षेत्र को नक्सल प्रभावित बताने की साजिश का पर्दाफाश होना जरूरी है।**
*दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग*
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने **फर्जी मुठभेड़ में शामिल पुलिस अधिकारियों और वन विभाग के कर्मियों के खिलाफ हत्या तथा अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
1. **इन अधिकारियों पर हो कार्रवाई**
– **एसपी मंडला**
– **एचएडब्लूके कमांडर**
– **आईजी बालाघाट**
– **वन विभाग के संबंधित अधिकारी**
2. **पीड़ित परिवार को न्याय मिले**
– मृतक के परिवार को **5 करोड़ रुपए** मुआवजा दिया जाए।
– उसकी विधवा को **सरकारी नौकरी** दी जाए।
– उसके पूरे परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार ले।
3. **अन्य निर्दोषों की रिहाई**
– **वनकर्मी संतोष धुर्वे और अशोक वल्के** को भी पुलिस ने नक्सली बताकर गिरफ्तार किया था।
– उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है, इसलिए उन्हें **तत्काल रिहा किया जाए।**
*अंतिम चेतावनी और आगे की रणनीति*
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने स्पष्ट किया कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो पार्टी आदिवासी समाज के हितों की रक्षा के लिए प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगी। पार्टी ने राज्यपाल से अपील की है कि **इस गंभीर मामले में तत्काल हस्तक्षेप करें और दोषियों को सजा दिलाएं।**
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी आदिवासी समाज की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्षरत है। पार्टी का यह आंदोलन आदिवासियों के प्रति सरकार की नीतियों और पुलिसिया ज्यादतियों के खिलाफ एक मजबूत आवाज बनकर उभरा है। यदि समय रहते सरकार और प्रशासन ने न्यायसंगत कदम नहीं उठाए, तो यह आंदोलन और भी व्यापक रूप ले सकता है।