
मनीष कौशिक की रिपोर्ट
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कहा कि अगर किसी कर्मचारी के परिवार का कोई सदस्य पहले से सरकारी सेवा में है, तो मृत कर्मचारी के स्थान पर अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती।
यह मामला बिलासपुर नगर निगम की महिला कर्मचारी से जुड़ा है, जिनकी मौत नौकरी के दौरान 21 अक्टूबर 2020 को हो गई थी। उनकी मौत के बाद बेटे मुरारीलाल रक्सेल ने अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी। लेकिन नगर निगम ने यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया कि उसके पिता पहले से ही निगम में कार्यरत हैं।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उसके पिता उससे अलग रहते हैं और वह अपनी मां पर ही आश्रित था। लेकिन नगर निगम के वकील संदीप दुबे ने कोर्ट को बताया कि राज्य शासन के नियमों और सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों के अनुसार, अगर परिवार में पहले से कोई सरकारी नौकरी में है, तो अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती।
हाई कोर्ट के जस्टिस बीडी गुरु की सिंगल बेंच ने निगम के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति कोई कानूनी अधिकार नहीं होती, बल्कि यह एक सहानुभूति के आधार पर दी जाने वाली सुविधा है। इसका मकसद केवल उन परिवारों की मदद करना है जो पूरी तरह से आयविहीन हो जाते हैं।