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आर्ट ऑफ लिविंग हैपिनेस कोर्स ग्रो मी कॉन्वेंट स्कूल पिहानी में

आर्ट ऑफ लिविंग हैपिनेस कोर्स ग्रो मी कॉन्वेंट स्कूल पिहानी में

आर्ट ऑफ लिविंग हैपिनेस कोर्स ग्रो मी कॉन्वेंट स्कूल पिहानी में संपन्न

आर्ट ऑफ़ लिविंग हैप्पीनेस कोर्स ग्रोमी कान्वेंट स्कूल में आयोजित किया गया। जिसमें पिहानी विकासखंड के ब्लॉक प्रमुख कुशी बाजपेई ने कहा कि द आर्ट ऑफ लिविंग एक बहु पक्षीय, बिना किसी लाभ वाली शैक्षिक और मानवतावादी गैर सरकारी संस्था है जो 156 से ज़्यादा देशों में मौजूद है। श्री श्री रविशंकर द्वारा 1982 में संस्थापित है। संस्थापक की हिंसा रहित, तनाव रहित वसुदेव- कुटुम्बकम की दृष्टि से प्रेरित होकर संस्था मानवता के उद्धार और जीवन के स्तर में सुधार की बढ़ोत्तरी की कई पहल करने में लगी हुई है। संस्था का उद्देश्य है कि व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्र और सम्पूर्ण विश्व के स्तर पर शांति स्थापित करना। उसके कार्य क्षेत्र में द्वंद समाधान, आपदा और आघात में सहायता, गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण, कैदियों का पुन:स्थापन, सबके लिए शिक्षा, महिला भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान और बाल श्रमिक और पर्यावरण की निरंतर स्थिरता सम्मिलित है। श्री श्री का शांति का मार्गदर्शक सिध्दान्त कि जब तक हमारा तनाव रहित मन और हिंसा रहित समाज नहीं होगा तो हम विश्व शांति को प्राप्त नहीं कर सकते। शिक्षक खुशी बाजपेई ने कहा कि द आर्ट ऑफ लिविंग कई तनाव निष्कासन और स्वयं के विकास के लिए कार्यक्रम प्रस्तुत करता है जो अधिकांश श्वास तकनीक, ध्यान और योग पर आधारित है। इन कार्यक्रमों ने हजारों लोगों को विश्वभर में निराशा, हिंसा और आत्महत्या करने प्रवृत्ति से निकलने में मदद की है। प्रार्थना और जिम्मेदारी को जोड़ते हुए आर्ट ऑफ लिविंग ने दस लाख से भी अधिक लोगों को विश्व भर में प्रेरित किया है कि वे अपना जीवन मानवता की सेवा और विश्व स्तर पर ध्यान के प्रसार और सेवा के लिए समर्पित करें। अपने सहभागी संस्थाओं के सहयोग द्वारा द आर्ट ऑफ लिविंग इन क्षेत्रों में कई सामाजिक योजनाओं को सूत्रबद्ध करते हुए क्रियान्वित करती है।शिक्षक आकाश ने कहा कि इस तरह आर्ट ऑफ लिविंग का कैदियों का कार्यक्रम वास्तविक, परिणाम मूलक हल है और समाज में हिंसा के चक्र और विश्व के बढ़ते हुए के सार से निपटता है। इस प्रशिक्षण का परिणाम का एक कठोर अपराधी का संवेदनशील, पक्षतावी और बदला हुआ व्यक्ति है। शिक्षका रेनू व दीपा ने कहा कि 1990 से इस कार्यक्रम ने 20,000 से भी अधिक रहवासियों का स्पर्श किया है जिसमें कई देश जैसे भारत, अमरीका, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, केमरून, मालावी, नमीबिया, केन्या, दुबई, क्रोशिया, कोसोवो, सिंगापुर, यूके, डेनमार्क, रशिया, स्काटलैंड, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया है। भारत में यह कार्यक्रम 100 कारागार में आयोजित है जो दंश के सभी राज्यों में फैले हैं। कई राज्य सरकारें आर्ट ऑफ लिविंग से कैदियों में बदलाव कार्यक्रम की मदद के लिए विनती करते हैं। एशिया के सबसे बड़े कारागार तिहाड़ जेल में 30,000 लोगों से अधिक जिसमें कठोर अपराधी भी सम्मिलित हैं लाभान्वित हो चुके हैं। आर्ट ऑफ लिविंग ने इस कार्यक्रम का प्रयोग करते हुए आतंकवादी और राजद्रोही तक पहुंच कर उनके कारागार में रहते हुए ही उनकी मनोस्थिति में बदलाव लाया है। शिविर में अंबुज शुक्ला,कुलदीप दीक्षित, पवन मिश्रा, सोनू अवस्थी, अखिलेश बाजपेई आदि लोग मौजूद रहे।

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