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परीक्षित मोक्ष सुनकर श्रोता हुए भाव विभोर।

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अयोध्या
विगत दिनों से चल रही अनवरत श्री मद भागवत कथा के अंतिम दिन एक तरफ श्रोता भाव विभोर हो गए। वहीं सुदामा चरित्र सुनकर उपस्थित भक्तगण अपने आसू नहीं रोक पाए।कथा वाचक विनयदास जी महराज ने सुदामा चरित्र पर प्रकाश डालते हुए।कहा कि जो लोग सुदामा जी को चना चोरी करके नहीं खाया था। बल्कि उस चने स्वयं खाकर भगवान श्रीकृष्ण जी भिखारी बनकर दर दर भटकने बचाकर अपनी दोस्ती का फर्ज निभाया था। क्योंकि गुरु माता द्वारा चना देने से इनकार करने पर दुर्वासा ऋषि ने श्राप दिया था कि जो तुम्हारे कुटिया में रक्खे चने को खायेगा।वह भिखारी की तरह पूरा जीवन भिक्षा मांगते हुए दर दर भटकेगा।उक्त समय सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

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