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” सरकारी स्कूलें सरकार के लिये ,सफेद हाती बन चुके है। ईसी लिये सरकार ध्यान नही देती। “

"क्या सरकारी स्कूलें सरकार के लिये ,सफेद हाती बन चुके है।"

जो ज्ञान का मंदिर, शिक्षा के साथ,भावी देश के नागरिक बना चुकी है,आज भी बना रही है। वह दुर्लक्षित क्यो। “?                                                  जो सरकारी स्कूलें जो हमारे देश की सच्ची धरोवर है। जीसका ईतिहास रह चुका है। बडेबडे,नेता क्या अभिनेता,तंत्रज्ञ,लेखक,विचारक बना चुकी है। आज उसे ही। सरकार द्वारा दुर्लक्षित किया जाना दुखदाई,तथा गरिब जनता के साथ साथ देश के लिये घातक हो सकता है।                              कही निजी शैक्षणीक क्षेत्र को व्यवसाय बणाने का जाणबुझकर दिया गया मौका तो नही।? सरकार खर्चेसे बचना चाहती तो नही। ?गरिब तथा मध्यमवर्गीयोंको शिक्षा से दुर करना तो नही। ? निजीस्कुलो को बढावा देना चाहती तो नही सरकार। ? शिक्षा व्यापारीकरण की शुरुवात करनी तो नही। ? बिछडा,दुर्लक्षित वर्ग जो आजकल शिक्षा की ओर आकर्षित हूवा है। वे राजनीतिक अपने लिये खतरा तो मानते नही। ? येसे सवालो की तराहअसंख्य सवाल जनता के मन मे उठ रहे  है।जीसका जवाब जनता,देशवाशी चाहते है। जो सरकार की जवाबदेही है। 

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