
तपोभूमि देवबड़ला में हरीयाली अमावस्या पर उमड़ा श्रद्धा का सेलाब
देवांचल धाम देवबड़ला बिलपान में अमावस्या के पवन पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओ ने बाबा महादेव के दर्शन किए मंदिर समिति के अध्यक्ष श्री ओंकार सिंह भगतजी ने बताया सावन मास की अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं। इस दिन स्नान, दान और शिव पूजन और पितृों का तर्पण किया जाता है। इस दिन शिव पूजन का भी विशेष महत्व है, क्यों कि यह सावन की अमावस्या है, इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र, फल आदि अर्पित कर उनका रुद्राभिषेक कराना भी उत्तम रहता है। इस अमावस्या का नाम ही हरियाली अमावस्या है, इस दिन पेड़ लगाने से भी शुभ फल मिलता है। खासकर आम, आंवला, बड़ का पेड़ आदि लगाने चाहिए। इस दिन सबसे पहले स्नान करके काले तिल और जल से पितरों का तर्पण देना चाहिए, इससे पितर प्रसन्न होते हैं। इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। हरियाली अमावस्या के दिन पितरों के नाम की दीपदान बहुत शुभ माना जाता है। पितरों के लिए किसी तालाब या पवित्र नदी के किनारे अपने पितरों के नाम का दीपक जरूर जलाएं । इसके अलावा शाम के समय आप पीपल के पेड़ के पास भी दीपक जला सकते हैं, क्योंकि इसमें ब्रह्मा विष्णु, महेश तीनों देवताओं का वास माना जाता है। इससे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है।
देवबड़ला स्मारक इंचार्ज कुंवर विजेंद्र सिंह भाटी ने कहा
हरियाली अमावस्या का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना है. यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि हम प्रकृति के ऋणी हैं और हमें इसे सुरक्षित रखने के लिए पूरा प्रयास करना चाहीए देवबड़ला क्षेत्र की सबसे बड़ी धरोहर है क्षेत्र वासियों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र होने से तीज़ त्योहारों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां नेवज नदी के पवित्र जल से स्नान कर बाबा विल्वैश्वर महादेव का जलाभिषेक व पुजा अर्चना कर क्षेत्र की सुख शांति व समृद्धि के लिए मंगल कामनाएं करते हैं पुरातन अधीकारी ड़ा.रमेश यादव के अनुसार आगे की कार्ययोजना तैयार कि जा रही है जल्दी ही चोथे मंदिर का डिपीआर तैयार कर जिर्णोद्धार का काम शुरू किया जायेगा