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संगठन, ज्यादा अनियमितताएं शिक्षकों की समस्या जस की तस

वरिष्ठता सूची के प्रकाशन में गड़बड़झाला से खुद ब खुद बयां हो रही हकीकत

कटनी, रीठी।। GANESH UPADHYAY VANDE BHARAT LIVE TV NEWS KATNI MP.

देखा जाए तो शिक्षा विभाग में अन्य विभागों की अपेक्षा सबसे ज्यादा कर्मचारी संघ हैं। कितने संगठन वैध हैं और कितने अवैधानिक है ये भी एक चर्चा का विषय है। लेकिन देखने में यह आ रहा है कि सभी संगठन अपने आप को शिक्षक हितैषी होने का राग अलापते है, परन्तु पृष्ठभूमि पर तो कुछ और ही दिखाई देता है। तभी तो सबसे ज्यादा परेशानी शिक्षक ही उठा रहे हैं, लगभग एक दर्जन कर्मचारी संघ तो होगे ही फिर भी एक वरिष्ठता सूची के प्रकाशन में एक वर्ष का समय लग जाता है। अधिकारी किसी की सुनने तैयार ही नहीं होते क्योंकि जब एक संघ सही कार्य करने का दबाव बनाता है तो दूसरा संघ अपनी वाह वाही लूटने के लिए अधिकारियों के राग में राग मिलाने चल देते हैं। ऐसा ही कुछ इन दिनों जिले के शिक्षा विभाग में हो रहा है।

बेअसर वरिष्ठ अधिकारी

बताया गया कि कटनी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा तैयार की गई प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षकों की वरिष्ठता सूची को मनमाने तरीके से तैयार किया गया है। जबकि इस संबंध में आयुक्त मध्यप्रदेश शासन भोपाल द्वारा पत्र क्रमांक एफ 1-14/2019/20-1 दिनांक 27/7/2019 को जारी कर दिशा निर्देश देते हुए पत्र की कंडिका क्रम 3.2 में उदाहरण सहित उल्लेख किया गया है कि वरिष्ठता की गणना कैसे की जागेगी। फिर भी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश को तबज्जो नहीं दी गई। जिसके चलते जिले के शिक्षकों के साथ कुठाराघात हुआ और वे शिकायतें लेकर अकेले या सामूहिक तौर पर जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे रहे हैं।

समास्या निवारण शिविर में नहीं सुलझी समस्याएं

विगत शीतकालीन अवकाश के दौरान शिक्षा विभाग भोपाल द्वारा शिक्षकों की समास्याओं के निवारण हेतु प्रत्येक जिले के विकास खण्डों में शिविरों का आयोजन किये जाने के निर्देश जारी किये गए थे। शिविर में सबसे ज्यादा वरिष्ठता सूची में वरिष्ठता दिनांक की गणना से संबंधित आवेदन आये होगें। ऐसा शिक्षकों का मानना है लेकिन कितनों का सही निराकरण किया जायेगा इसमें शिक्षक अनभिज्ञता व्यक्त करते नहीं चुक रहे है। देखा जाए तो रीठी विकास खंड में भी समस्या निवारण शिविर में गुरूजी लोग नियुक्ति दिनांक में सुधार की समस्या लेकर पहुंचे थे, लेकिन उनकी भी समस्या का निदान नहीं किया गया। जबकि यह कहना ग़लत नहीं होगा कि शिक्षा विभाग गुरूजी से संविदा शिक्षक बने मास्साबों के हक पर डाका डालने का काम कर रहा है। बताया जाता है कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा रीठी विकास खंड के गुरूजियों की ई सर्विस बुक में नियुक्त दिनांक भी मनमाने तरीके से बदल दी गई है, जो जांच का विषय भी है।

मोह की कहावत हो रही चरितार्थ

आपने रामायण में नारद मोह का वृत्तांत तो सुना ही होगा सूत्रों के हवाले से यह बताया जा रहा है कि कटनी जिला शिक्षा अधिकारी भी एक ऐसे ही मोह की फांस में फंसे हैं। जिसके कारण आज शिक्षा विभाग ही अपने हाथ पैर काटने में तुला हुआ है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा नित नई पहल की जा रही है और समय समय पर करोड़ों रुपये के व्यय से शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाता हैं। शिक्षक सरकारों के मनसूबों को गुणवत्ता की कसौटी पर खरा उतारने की भरसक कोशिश भी करते हैं परन्तु जब इन्ही शिक्षकों के हक के निबालो को अधिकारियों के द्वारा छीनने की भरसक कोशिश की जाती है तब उसकी सर्थकता पर कई सवालिया निशाना लगने लगते हैं। लेकिन इसके लिए जिसे दोषी करार दिया जाता है वह होता नहीं है, क्योंकि सत्यता टोह ली ही नहीं जाती और यदि ली जाती है तो तब तक काफी बिलंब हो जाता है।

मानसिक प्रताड़ना की बलिवेदी का शिकार जिले के शिक्षक

ऐसा ही एक वाक्या कटनी जिले के शिक्षा विभाग का है जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी पृथ्वीपाल सिंह जिला पंचायत में बेखौफ मनघड़ंत जानकारी प्रस्तुत कर गुमराह कर देते हैं और फिर मजबूर हो कर जिला पंचायत के सदस्यों द्वारा निंदा प्रस्ताव पारित किया जाता है। कुछ ऐसा ही विगत एक साल से प्राथमिक, माध्यमिक शिक्षकों की वरिष्ठता सूची के प्रकाशन में की गई अनियमितता जो शिक्षकों को रास नहीं आ रही और वे लगातार अपने आवेदनों के माध्यम से मांग कर रहे हैं। भला ऐसी स्थिति में जब उनका विभाग ही उन्हें मानसिक प्रताड़ना की बलिवेदी का शिकार बना रहा है, तब ऐसे में क्या सरकार के मनसूबों पर शिक्षा को गुणवत्ता के विकास की कसौटी पर लाया जा सकता है..।

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