
सहारनपुर विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार चरम पर, जनसुनवाई पोर्टल बना मज़ाक!
🚨 अवैध निर्माण को संरक्षण, जनता की आवाज़ को दबाने का आरोप
सहारनपुर: विकास प्राधिकरण सहारनपुर में भ्रष्टाचार अपने चरम पर पहुंच चुका है। सरकार द्वारा भ्रष्टाचार रोकने के लिए शुरू किया गया जनसुनवाई पोर्टल भ्रष्ट अफसरों की मिलीभगत से मात्र एक दिखावा बनकर रह गया है। अवैध निर्माण कार्य धड़ल्ले से जारी हैं, लेकिन जब तक अधिकारियों की नींद खुलती है, तब तक निर्माण पूरा हो जाता है और फाइलों में इसे “पुराना निर्माण” बताकर दबा दिया जाता है।
🏗️ व्यावसायिक निर्माण को खुली छूट, पर्यावरण नियमों की अनदेखी
शहर के कई हिस्सों में बड़े व्यावसायिक निर्माण चल रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई नोटिस जारी नहीं किया जाता। खासकर घंटाघर और आसपास के इलाकों में आवासीय नक्शों पर व्यावसायिक इमारतें खड़ी की जा रही हैं और नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
⚠️ जनसुनवाई पोर्टल का दुरुपयोग, शिकायतों को दबाने का खेल!
शिकायतकर्ता जब भी अवैध निर्माण या भ्रष्टाचार की शिकायत जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज कराते हैं, तो एक महीने बाद जवाब दिया जाता है, जब तक निर्माण पूरा हो चुका होता है। इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि कई शिकायतकर्ताओं को “शिकायतों का आदी” बताकर उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की जाती है।
💰 लाखों की वसूली, नोटिस फाइलों में दबे!
सूत्रों के अनुसार, विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से हर महीने लाखों रुपये की अवैध वसूली हो रही है, जबकि लाखों नोटिस बिना किसी कार्रवाई के फाइलों में दबे पड़े हैं। सरकार को राजस्व बढ़ाने की चिंता नहीं है, बल्कि अधिकारी अपनी जेबें भरने में व्यस्त हैं।
📢 जनता की मांग: भ्रष्ट अधिकारियों पर हो कड़ी कार्रवाई!
सहारनपुर की जनता ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि:
✔️ भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ तत्काल जांच हो।
✔️ जनसुनवाई पोर्टल की प्रभावी मॉनिटरिंग की जाए।
✔️ शिकायतों का तुरंत संज्ञान लेकर दोषियों पर कार्रवाई हो।
✔️ अवैध निर्माण कार्यों को रोकने के लिए एक विशेष निगरानी टीम गठित की जाए।
🚨 क्या सरकार जागेगी या भ्रष्टाचारियों का खेल जारी रहेगा?
अब देखना होगा कि सरकार इस गंभीर मामले में कोई ठोस कदम उठाएगी या सहारनपुर विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार यूं ही फलता-फूलता रहेगा!
रिपोर्ट: एलिक सिंह (संपादक, वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज)
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📌 जिला प्रभारी (BJAC), भारतीय पत्रकार अधिकार परिषद्