उत्तर प्रदेशबस्ती

बरदिया लोहार में शौचालय निर्माण में 88.50 लाख रुपये का घोटाला, एडीएम ने गठित की तीन सदस्यीय जांच टीम

✍️अजीत मिश्रा(खोजी)✍️ 

।। ग्राम पंचायत बरदिया लोहार में शौचालय निर्माण में 88.50 लाख रुपये का घोटाला, एडीएम ने गठित की तीन सदस्यीय जांच टीम।।

दुबौलिया-बस्ती

विकासखंड दुबौलिया की ग्राम पंचायत बरदिया लोहार में शौचालय निर्माण कार्य में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और सरकारी धन के गबन का मामला सामने आया है। इस गंभीर मामले को लेकर एडीएम प्रतिपाल चौहान ने तत्काल प्रभाव से तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी है और जांच रिपोर्ट 05 जून 2025 तक प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

पूर्व प्रधान व सचिव पर भ्रष्टाचार का आरोप

ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान राम दास और पूर्व सचिव राजेश कुमार पाण्डेय पर आरोप है कि इन्होंने मिलीभगत कर शौचालय निर्माण के नाम पर लगभग ₹88,50,000 (अठासी लाख पचास हजार रुपये) का गबन किया है। यह शिकायत उदय प्रताप सिंह, निवासी माझा अखनपुर, द्वारा उप लोकायुक्त उत्तर प्रदेश लखनऊ को की गई थी।

फर्जी फर्मों के जरिए बंदरबांट

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि भ्रष्टाचार को अंजाम देने के लिए पाँच फर्जी व मनचाही फर्में बनाई गईं, जिनके खातों में शौचालय निर्माण की धनराशि भेजी गई।आश्चर्यजनक रूप से यह राशि लाभार्थियों के खातों में भेजने के बजाय पूर्व प्रधान और फर्जी फर्मों के खातों में ट्रांसफर की गई, जो नियमों का खुला उल्लंघन है।

आंकड़ों में भी हेराफेरी

ग्राम पंचायत में कुल 644 परिवार ही हैं, लेकिन रिकॉर्ड में 777 परिवारों को दर्शाया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जानबूझकर आंकड़ों में हेराफेरी कर सरकारी धन का गबन किया गया।

GST भी नहीं जमा किया गया

शिकायत में यह भी उल्लेख है कि शौचालय निर्माण से जुड़ी जीएसटी राशि को भी सरकार के खाते में जमा नहीं किया गया, जो टैक्स चोरी और आर्थिक अनियमितता की गंभीर स्थिति को उजागर करता है।

गठित हुई जांच टीम

एडीएम प्रतिपाल चौहान के निर्देश पर गठित तीन सदस्यीय जांच टीम में उप जिलाधिकारी (न्यायिक) हर्रैया, क्षेत्राधिकारी कलवारी और वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी को शामिल किया गया है। टीम को निर्देशित किया गया है कि वे त्वरित जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें, ताकि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके।

फोन कवरेज से बाहर मिले एडीएम

इस प्रकरण पर जानकारी लेने के लिए जब एडीएम प्रतिपाल चौहान से फोन पर संपर्क किया गया, तो उनका फोन नेटवर्क क्षेत्र से बाहर मिला।

यह मामला सिर्फ एक ग्राम पंचायत तक सीमित नहीं बल्कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता की कमी और अधिकारियों की जवाबदेही की ओर भी इशारा करता है। यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह शासन प्रशासन के लिए एक चेतावनी भी होगी कि ग्राम स्तर पर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे।

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