खेलताज़ा खबर

बिहार के खिलाड़ियों का ओलंपिक खेलों में प्रतिनिधित्व क्यों नहीं?

देश की तीसरी सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य बिहार में खेलों की स्थिति अभी भी चिन्ताजनक बनी हुई है।

देश की तीसरी सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य बिहार जहाँ राज्य विभाजन के लगभग 24 वर्षों के बाद भी खेल और खिलाड़ियों की स्थिति दयनीय है।बात अगर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की करें तो बिहार के खिलाड़ियों का प्रदर्शन हमेशा से ही संतोषजनक नहीं रहता है।बिहार में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है यहाँ के खिलाड़ियों ने हर जगह अपना लोहा मनवाया है।लेकिन बिहार में खिलाड़ियों को न तो पर्याप्त सुविधा मिल पाती है न ही बेहतर प्रशिक्षण न ही राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ियों के लिए नौकरी दी जाती है।ऐसे में खिलाड़ियों से बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है।हाल में ही आयोजित हुए पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के विभिन्न खेलों से कुल 117 खिलाड़ियों का दल भेजा गया था। जिसमें सिर्फ एक बिहार की खिलाड़ी निशानेबाज़ श्रेयशी सिंह शामिल थीं ।वो भी बिहार की पहली महिला खिलाड़ी हैं जिन्होनें भारत के लिए ओलंपिक में प्रतिनिधित्व किया बिहार विभाजन के बाद वह बिहार से भारत के लिए ओलंपिक में खेलने वाली पहली खिलाड़ी भी हैं।उम्मीद करते हैं कि श्रेयसी सिंह के ओलंपिक में खेलने से बिहार के खिलाड़ियों में उम्मीद जगेगी। श्रेयसी खुद विधान सभा की सदस्या हैं बिहार बीजेपी जमुई सीट से ऐसे में बिहार के खिलाड़ियों के लिए एक नयी उममीद की किरण बनकर सामने आयीं हैं जिनसे बिहार में खेल व खिलाड़ियों के विकास की उम्मीदें उन पर टिकी हैं। आने वाले समय में देखना यह है कि बिहार के खिलाड़ियों के विकास में वो कितना योगदान दे पाती हैं?जिससे बिहार जैसे राज्य से और भी श्रेयसी सामने आ पाए और अपने सपनों को पूरा कर राज्य व देश का मान बढ़ाए।

GOPAL MISHRA (GOPESH)). BEGUSARAI BIHAR

क्रिकेट विश्लेषक,खेल जर्नलिस्ट,क्रिकेट प्रशिक्षक,क्रिकेट सलाहकार, क्रिकेट अंपायर,पर्यावरण प्रेमी।मेहनत,धैर्य की सीमा से परे अद्भुत,इंसान। ##खेल ही जीवन है जीवन ही खेल है। वर्तमान समय में एक खेल ही ऐसा विकल्प है जिसके माध्यम से हम बेहतर व्यक्तित्व व समाज का निर्माण कर सकते हैं।
Back to top button
error: Content is protected !!