घटना का विवरण
ग्राम करीली में रहने वाले हरि सिंह सहरिया और उनके परिवार के सदस्य अपनी झोपड़ी में गहरी नींद में थे। रात करीब दो बजे गांव के पूर्व सरपंच और उसके 15-20 रिश्तेदार दो ट्रैक्टरों पर सवार होकर वहां पहुंचे। उन्होंने झोपड़ी पर ट्रैक्टर चढ़ा दिया और 10 बीघा जमीन पर खड़ी गेहूं की फसल को उजाड़ दिया।
परिवार के सदस्य जब अपनी जान बचाने के लिए भागने की कोशिश कर रहे थे, तब दबंगों ने उन्हें घेर लिया। उन्हें दो घंटे तक बंधक बनाकर बुरी तरह पीटा गया।
पीड़ित परिवार का बयान
प्रेमबाई, पत्नी हरि सिंह सहरिया ने पुलिस को बताया, “दबंगों ने हमें घेर लिया और हमारे साथ बर्बरता की। उन्होंने हमें बिजली डीपी के पास ले जाकर करंट देने की कोशिश की, लेकिन बिजली नहीं होने के कारण वे अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सके। इसके बाद उन्होंने हमारे मुंह पर पेशाब किया और पिलाने पर मजबूर किया।”
पुलिस और प्रशासन की भूमिका
घटना की सूचना पर पुलिस सुबह मौके पर पहुंची और पीड़ित परिवार के कुछ सदस्यों को थाने ले गई। वहीं, एसडीओपी विवेक अष्ठाना ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच जमीन विवाद चल रहा है। थाना प्रभारी ने सुबह फिर से झगड़े की जानकारी दी। तहसीलदार को भी विवाद सुलझाने के लिए पत्र लिखा गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
दूसरे पक्ष का दावा
दूसरे पक्ष के एक व्यक्ति को कुल्हाड़ी से चोट लगने की बात सामने आई है। पुलिस ने दोनों पक्षों पर मामला दर्ज कर निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है।
घटनास्थल पर स्थिति
पीड़ित परिवार ने बताया कि दबंगों ने घटना के बाद उन्हें जान से मारने की धमकी दी। इस दौरान परिवार खेत में दर्द से कराहता पड़ा रहा। घटना के बाद से इलाके में तनाव बना हुआ है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
एसडीओपी विवेक अष्ठाना ने कहा कि पेशाब पिलाने और करंट लगाने के आरोपों की जांच की जा रही है। तहसीलदार और अन्य अधिकारियों को भी मामले में संज्ञान लेने के लिए कहा गया है।
सवालों के घेरे में कानून व्यवस्था
यह घटना सवाल खड़े करती है कि आखिरकार कब तक जमीन विवाद के नाम पर ऐसी घटनाएं होती रहेंगी? पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं कि समय रहते इस विवाद को सुलझाने के प्रयास क्यों नहीं किए गए।
निष्कर्ष
यह मामला सिर्फ एक जमीन विवाद का नहीं, बल्कि समाज में व्याप्त असमानता और दबंगई की मानसिकता का उदाहरण है। प्रशासन को तुरंत सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।