
उन्नाव जिले के अंतर्गत आने वाले शुक्लागंज में सरकारी अस्पताल में दिखाने बाद लोगों को बाहर की दवाइयां लिखी जा रही हैं आज बंदे भारत लाइव टीवी न्यूज़ चैनल के जिला रिपोर्टर हर्ष नारायण खुद स्वयं जाकर इस बात को जानने की कोशिश किया कि बाहर की दवाइयां लिखी जा रही हैं या नहीं आज मैंने बताया पर्चा बनवाकर कि मुझे खांसी आ रही है तो डॉक्टर साहब ने एक छोटी सी पर्ची में बाहर की दवाइयां लिख दी और केवल बुखार की दवा अंदर से दे दिया और जब मैं डॉक्टर साहब से बात किया तो उन्होंने कहा कि आपके बच्चों की खांसी की दवाइयां यहां हैं और बड़ों की खांसी के दवाइयां नहीं है क्यों नहीं है इस बात का जवाब प्रशासन से चाहिए आम जनता को सरकारी अस्पताल में जनता जाती है इसलिए कि उसको कुछ दवाइयां सरकारी अस्पताल से मिल जाएगी और उनका पैसा बच जाएगा क्योंकि वही लोग जाते हैं सरकारी अस्पताल में जिनके पास बाहर से दवाइयां खरीदने के लिए पैसे नहीं होते हैं बड़ी उम्मीद से आम लोग जाते हैं लेकिन यह सरकारी अस्पताल के डॉक्टर बाहर की दवाइयां लिखकर लोगों को परेशान करते हैं खांसी का एक सिरप ₹120 का और खांसी का जो टैबलेट उन्होंने लिखा है उसकी एक टैबलेट की कीमत 18 रुपए इतनी महंगी दवाइयां अगर सरकारी अस्पताल में लिखे जाएंगे तो सरकारी अस्पताल होने का क्या फायदा है इसलिए सरकार से अनुरोध है कि किसी भी बहाने से यहां की जांच करवाई जाए और ऐसे डॉक्टरों के ऊपर अंकुश लगाया जाए जो अपने फायदे के लिए बाहर की दवाइयां लिखते हैं जबकि सरकार सारी दवाइयां हॉस्पिटल में उपलब्ध कराती है फिर दवाइयां क्यों नहीं मिलती हैं 11:00 बजे ओपीडी चालू होती है इसकी जांच होनी चाहिए कि यह दवाइयां बाहर से क्यों लिखी जा रही है