सिंधु जल समझौता रोकने से बेमौत मरेगा पाकिस्तान। भारत ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर की नस काट दी।
जम्मू- कश्मीर में पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान में खलबली मची हुई है। भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तानियों के खिलाफ 5 बड़े कदम उठाए हैं, जिसके बाद से पूरे पाकिस्तान में बौखलाहट साफ देखी जा सकती है।
मीनाक्षी विजय कुमार भारद्वाज/मुंबई सिंधु जल समझौता रोकने से बेमौत मरेगा पाकिस्तान। भारत ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर की नस काट दी।
मुंबई/महाराष्ट्र: जम्मू- कश्मीर में पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान में खलबली मची हुई है। भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तानियों के खिलाफ 5 बड़े कदम उठाए हैं, जिसके बाद से पूरे पाकिस्तान में बौखलाहट साफ देखी जा सकती है। जहां जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को रोक दिया है। वहीं, पाकिस्तान ने भी शिमला समझौता तोड़ दिया है।भारत के सिंधु नदी के पानी को रोकने के ऐलान के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बृहस्पतिवार सुबह नेशनल सिक्योरिटी कमेटी की मीटिंग बुलाई है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा-अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत भारत इंडियन बेसिन संधि (सिंधु जल संधि) पर रोक नहीं लगा सकता। ऐसा करना समझौते से जुड़े क़ानून का घोर उल्लंघन होगा। इस बीच खबर आई है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने भारत से टेंशन के बीच अपने परिवार को विदेश भेज दिया है।ब्रिटिश राज के दौरान ही दक्षिण पंजाब में सिंधु नदी घाटी पर बड़ी नहर का निर्माण करवाया गया था। उस इलाके को इसका इतना लाभ मिला कि बाद में वो दक्षिण एशिया का एक प्रमुख कृषि क्षेत्र बन गया। भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे के दौरान जब पंजाब को विभाजित किया गया तो इसका पूर्वी भाग भारत के पास और पश्चिमी भाग पाकिस्तान के पास गया। बंटवारे के बाद से ही यह विवाद शुरू हुआ है।बंटवारे के दौरान ही सिंधु नदी घाटी और इसकी विशाल नहरों को भी विभाजित किया गया। हालांकि, इससे होकर मिलने वाले पानी के लिए पाकिस्तान पूरी तरह भारत पर निर्भर था। पानी के बहाव को बनाए रखने के उद्देश्य से पूर्व और पश्चिम पंजाब के चीफ इंजीनियरों के बीच 20 दिसंबर 1947 को एक समझौता हुआ। इसके तहत बंटवारे से पहले तय किया गया पानी का निश्चित हिस्सा भारत को 31 मार्च 1948 तक पाकिस्तान को देते रहना तय हुआ। 1 अप्रैल 1948 को जब समझौता लागू नहीं रहा तो भारत ने दो प्रमुख नहरों का पानी रोक दिया जिससे पाकिस्तानी पंजाब की 17 लाख एकड़ जमीन पर हालात खराब हो गए।भारत के सिंधु का पानी रोकने के कदम के पीछे कई वजहें बताई गई थीं। उनमें से एक थी कि भारत कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान पर दबाव बनाना चाहता था। बाद में हुए समझौते के बाद भारत पानी की आपूर्ति जारी रखने पर राजी हो गया। 1951 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अमेरिका की टेनेसी वैली अथॉरिटी के पूर्व प्रमुख डेविड लिलियंथल को भारत बुलाया।लिलियंथल पाकिस्तान भी गए और वापस अमेरिका लौटकर उन्होंने सिंधु नदी घाटी जल बंटवारे पर एक लेख लिखा। ये लेख विश्व बैंक प्रमुख और लिलियंथल के दोस्त डेविड ब्लैक ने भी पढ़ा और उन्होंने भारत और पाकिस्तान के प्रमुखों से इस बारे में संपर्क किया। फिर दोनों पक्षों के बीच बैठकों का सिलसिला शुरू हुआ। ये बैठकें करीब एक दशक तक चलीं और आखिरकार 19 सितंबर, 1960 को कराची में सिंधु नदी घाटी संधि पर हस्ताक्षर हुए।ये था सिंधु जल समझौता।सिंधु जल संधि के मुताबिक, सिंधु, झेलम और चिनाब को पश्चिमी नदियां बताते हुए इनका पानी पाकिस्तान के लिए तय किया गया। वहीं, रावी, ब्यास और सतलुज को पूर्वी नदियां बताते हुए इनका पानी भारत के लिए तय किया गया। इसके मुताबिक, भारत पूर्वी नदियों के पानी का कुछ अपवादों को छोड़कर, बे रोकटोक इस्तेमाल कर सकता है। वहीं पश्चिमी नदियों के पानी के इस्तेमाल का कुछ सीमित अधिकार भारत को भी दिया गया था। जैसे बिजली बनाना, कृषि के लिए सीमित पानी वगैरह। इसी संधि में सिंधु आयोग भी स्थापित किया गया। दोनों कमिश्नरों के बीच किसी भी विवादित मुद्दे पर बातचीत का प्रावधान है।हाल ही में पाकिस्तान के आर्मी प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर ने इस्लामाबाद में ओवरसीज पाकिस्तानी कन्वेंशन को संबोधित करते हुए भारत के साथ पुराने तनाव को हवा देने की भरपूर कोशिश की। जनरल मुनीर ने इस कन्वेंशन को संबोधित करते हुए ‘टू नेशन थ्योरी’ की बात की। कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस कहा और साथ ही हिन्दू और मुसलमानों के बीच फर्क बताते हुए कहा कि दुनिया की कोई भी ताकत कश्मीर को पाकिस्तान से अलग नहीं कर सकती है। मुनीर ने कहा-हम एक नहीं दो राष्ट्र हैं। हमारे पूर्वजों का मानना था कि हम हर आयाम में हिंदुओं से अलग हैं। हमारा मजहब, रिवाज, परंपरा, सोच और मकसद सब अलग हैं। इस बयान के बाद ही पहलगाम आतंकी हमला हुआ, जिसके पीछे एक वजह यह भी बताई जा रही है।पाकिस्तान की 80% खेती सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी पर निर्भर है। अब भारत की तरफ से इन नदियों का पानी रोक देने से पाकिस्तान में जल संकट गहराएगा। वहां की आर्थिक स्थिति बिगड़ेगी। इसके अलावा पाकिस्तान कई डैम और हाइड्रो प्रोजेक्ट्स से बिजली बनाता है। पानी की कमी से बिजली उत्पादन में गिरावट आ सकती है, जिससे पाकिस्तान की आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा।सिंधु जल समझौता स्थगित होने से पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत की खेती ठप पड़ सकती है। वैसे भी वहां पर पानी की पहले से ही किल्लत चल रही है। खासकर गर्मियों में. सिंध प्रांत पाकिस्तान का एक महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र है और उसकी अधिकतर सिंचाई सिंधु नदी के जल पर निर्भर है।पेंटागन के पूर्व अधिकारी और अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो माइकल रुबिन से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने असीम मुनीर और पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही। माइकल रुबिन ने कहा कि स्पष्ट रूप से अब भारत का कर्तव्य है कि वह पाकिस्तान और आईएसआई के साथ वैसा ही करे, जैसा इजरायल ने हमास के साथ किया था। अब समय आ गया है कि आईएसआई के नेतृत्व को खत्म कर दिया जाए और उन्हें एक नामित आतंकवादी समूह के रूप में माना जाए।
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