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ट्रेड यूनियनों से चर्चा बगैर श्रम कानून बदलना नहीं चलेगा -गरजे ट्रेड यूनियनों के नेता

ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मोर्चा, मध्यप्रदेश
(इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, यूटीयूसी, सेवा तथा बैंक, बीमा, बीएसएनएल, राज्य व केन्द्रीय कर्मचारियों का साझा मंच)

एरियर्स सहित न्यूनतम वेतन वृद्धि भुगतान करो

ट्रेड यूनियनों से चर्चा बगैर श्रम कानून बदलना नहीं चलेगा -गरजे ट्रेड यूनियनों के नेता

प्रदेश की औद्योगिक शांति पर प्रतिकूल असर की दी धमकी

श्रम मंत्री व श्रमायुक्त को सौंपा ज्ञापन

इंदौर/ 27 जून 2025

मध्यप्रदेश सरकार का बगैर केन्द्रीय श्रमिक संगठनों से चर्चा किये तीन महत्वपूर्ण श्रम कानूनों, क्रमशः ठेका श्रम (विनियमन और उत्सादन) अधिनियम, 1970, कारखाना अधिनियम, 1948 तथा औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 में कारखाना मालिकों के पक्ष में मजदूर विरोधी संशोधन करने के निर्णय का ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चे ने तीखा विरोध किया। आज इंदौर में ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चा, मध्यप्रदेश द्वारा श्रमायुक्त कार्यालय पर सम्पन्न धरने तथा कार्यालय द्वार पर हुए जंगी प्रदर्शन में केन्द्रीय श्रमिक संगठनों के नेताओं ने राज्य सरकार की जमकर आलोचना की। इस धरना व प्रदर्शन में प्रदेश भर से संगठित-असंगठित श्रमिक, आशा ऊषा समेत योजना कर्मी, महिला श्रमिक, कोयला, भेल जैसे सार्वजनिक उपक्रम, बीमा, बैंक,केन्द्रीय कर्मचारी, मेडीकल रिप्रेजेंटेटिव्ह, औद्योगिक श्रमिक बड़ी तादाद में उपस्थित थे।

धरने व प्रदर्शन को संबोधित करते हुए इंटक प्रदेशाध्यक्ष श्याम सुंदर यादव, एटक प्रदेश महासचिव एस एस मौर्य, कांग्रेस युवा नेता राहूल निहोरे सीटू प्रदेश अध्यक्ष रामविलास गोस्वामी, एचएमएस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरिओम सूर्यवंशी, एआईयूटीयूसी प्रदेश महासचिव रूपेश जैन, सेवा की रेखा सुर्वे, इंदौर के श्रमिक नेता सी एल सर्रावत, नगर निगम कर्मचारी संगठन महेश गोहर.रामस्वरूप मंत्री, रुद्रपाल यादव, प्रमोद नामदेव, लक्ष्मीनारायण पाठक आदि ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार केंद्र द्वारा 29 श्रम कानूनों को समाप्त कर चार काली श्रम संहिताओं को पिछले दरवाजे से लागू करने की कोशिश में है।

संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने कहा कि प्रदेश की सरकार कितनी श्रमिक विरोधी है, यह हाल में न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण की प्रक्रिया व परिणाम में उजागर हुआ है। श्रमिकों के वैधानिक अधिकार पर कुठाराघात करते हुए सरकार ने न्यूनतम वेतन अधिनियम के तहत पांच वर्ष में न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण के बजाय लगभग 10 वर्ष में 1 अप्रैल 2024 से पुनरीक्षण कर तथा नवंबर 2019 से मार्च 2024 तक की मासिक वृद्धि की राशि को मजदूरों के जेब से निकाल मालिकों की तिजोरी में डाल दिया। हद तो यह है कि प्रदेश के लाखों श्रमिकों को वैधानिक रूप से 1 अप्रैल 2024 से बड़ी दरें तथा एरियर्स देय हैं लेकिन प्रदेश के लाखों श्रमिक आज भी इन पुनरीक्षित दरों के एरियर्स तक से वंचित है। जिनमें दसियों हजार तो म प्र शासन व उसके अधीन कार्यरत बिजली कंपनियों के कार्यालयों में संविदा, आऊटसोर्स और ठेके आदि पर कार्यरत कर्मी है।
सभी संगठनों के सम्मिलित होने पर सभी का आभार राहूल निहोरे द्वारा माना गया

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