सीधी। सीएम हेल्पलाइन समस्याओं के निराकरण का माध्यम न होकर खुद एक समस्या बन गई है। समस्या से ग्रस्त शिकायतकर्ता इस इंतजार में रहता है कि उसकी समस्या का निराकरण किया जाएगा लेकिन इंतजार तब खत्म हो जाता है जब एक दिन उसे पता चलता है कि मनमाने ढंग से उसकी शिकायत को बंद कर दिया गया है और समस्या जस की तस बरकरार है।
सीएम हेल्पलाइन को मजाक बना देने वाले अधिकारियों के वैसे तो अनेक किस्से हैं लेकिन एक ताजा उदाहरण जनपद पंचायत कुसमी अंतर्गत ग्राम पंचायत करैल से सामने आया है जहां समस्या के निदान के इंतजार में बैठे आदिवासी युवक की उम्मीदें अव सीएम हेल्पलाइन से भी समाप्त हो चुकी है। गौरतलब है कि ग्राम पंचायत करैल अंतर्गत ग्राम केरहा निवासी इंद्रजीत यादव के नाम पर पशु सेट का निर्माण किया जाना मनरेगा के पोर्टल पर दिखाई दे रहा है। पोर्टल पर दर्द जानकारी के मुताबिक वर्क कोड क्रमांक 1715007037/AV/22012034593946 के अंतर्गत वर्ष 2021-22 में इंद्रजीत यादव के लिए पशु सेड का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इंद्रजीत को जब इस बात की खबर लगी तो नवंबर 2024 में उन्होंने इसकी शिकायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत कुसमी के साथ-साथ सीएम हेल्पलाइन में भी दर्ज कराई है। इंद्रजीत यादव द्वारा इस संबंध में 5 नवंबर 2024 को दर्ज कराई गई शिकायत क्रमांक 2964 0417 को यह कहकर बंद कर दिया गया कि उक्त शिकायत की जांच पीसीओ से कराई गई है पक ने अपने जांच प्रतिवेदन में कहा है कि पशु सेड का निर्माण हो चुका है अब शिकायतकर्ता द्वारा अधिक राशि की मांग की जा रही है जिसे पूरा कर पाना संभव नहीं है इसलिए शिकायत मांग आधारित होने के कारण इसे बंद किया जाता है। और इस तरह इंद्रजीत की समस्या का निराकरण किया जाने की बजाय शिकायत को मांग आधारित होने की बताकर और एक फर्जी जांच प्रतिवेदन का हवाला देकर बंद कर दिया गया है। इस संबंध में जब हमने पंचायत समन्वय अधिकारी (पीसीओ) बबन सिंह से उनके मोबाइल नंबर 9770740765 पर संपर्क कर इंद्रजीत यादव की शिकायत के संदर्भ में जांच प्रतिवेदन के बारे में जानकारी चाहिए गई तो उन्होंने कहा कि अभी जांच पूरी नहीं हो पाई है और उन्होंने जांच प्रतिवेदन भी नहीं दिया है। अभी उनका स्वास्थ्य खराब है स्वास्थ्य ठीक होने के बाद ही वे जांच कर पाएंगे। सवाल यह उठता है कि जब उसे क्षेत्र के पीसीओ बबन सिंह ने अभी ना तो जांच की है और ना ही कोई जांच प्रतिवेदन दिया है तो फिर कि जांच प्रतिवेदन का हवाला देकर इंद्रजीत की शिकायत को बंद कर दिया गया है। क्या यह घटना सीएम हेल्पलाइन पर सवालिया निशान नहीं खड़ा करती है और क्या उच्च अधिकारियों की मनमानी ऐसी योजना पर पानी नहीं फेर रही है। यही कारण है कि लोगों की समस्याओं का ना तो समाधान हो पा रहा है और ना ही निराकरण फिर भी लगातार शिकायतें बंद की जा रही है जिसमें किसी भी फर्जी जांच प्रतिवेदन का हवाला दिया जाता है या फिर उसे मांग आधारित बताया जाता है ऐसे में क्या यह सवाल खड़ा नहीं होता है कि सीएम हेल्पलाइन को ही बंद कर देना चाहिए
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