आजमगढ़
जाली नोट के जरिए लोगों नोट दुगुना करने का झांसा देने के 22 साल पुराने मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद अदालत ने पर्याप्त सबूत के अभाव में छह आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर 3 जैनेंद्र कुमार पांडेय ने सुनाया। अभियोजन पक्ष के एस ओ जी के उपनिरीक्षक जगदंबा प्रसाद द्विवेदी को 14अगस्त 2002 दीवानी कचहरी गेट पर कुछ अपराधियों की तलाश में थे तभी मुखबिर से सूचना मिली कि ठगों का एक गिरोह भोली भाली जनता को नोट दुगना करने का झांसा देकर ठग रहा है।इस सूचना पर सब इंस्पेक्टर जगदंबा प्रसाद द्विवेदी तथा सब इंस्पेक्टर क्राइम रमेश यादव अपने हमराही सिपाहियों के साथ रोडवेज की उतरी गेट पर लगभग पौने दो बजे इंद्रदेव राम निवासी मिश्रपुर , जहांगीर आलम निवासी भीमाकोल थाना महाराजगंज, राजपति राम निवासी नोनावर, सियाराम निवासी पिपरिया थाना कप्तानगंज, विनोद मद्धेशिया व उमेश चंद निवासी कंधरापुर को को जाली नोटों के साथ गिरफ्तार किया। इस मामले में जांच पूरी करने के बाद पुलिस ने नवंबर 2002 में चार्जशीट न्यायालय में दाखिल किया। सत्र परीक्षण होने के कारण 23 नवंबर 2002 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने यह मुकदमा सत्र न्यायालय को सुपुर्द कर दिया। फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा 21 जुलाई 2003 को मुकदमे में आरोप तय किया गया। अभियोजन पक्ष की तरफ से मुकदमे में उपनिरीक्षक रमेश यादव, रिटायर्ड इंस्पेक्टर जगदंबा प्रसाद द्विवेदी तथा बैंककर्मी हरी लाल यादव को बतौर साक्षी न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। दोनों पक्षों की दलीलों की सुनने के बाद अदालत ने पर्याप्त सबूत के अभाव में आरोपी इंद्रदेव राम,राम पतिराम, सियाराम, विनोद मद्धेशिया, उमेश चंद्र गुप्ता तथा जहांगीर आलम को दोष मुक्त कर दिया। आरोपियों की तरफ से चंद्रदीप यति एडवोकेट ने पैरवी की।