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झांसी मेडिकल कॉलेज में मौत के बाद भी नहीं छूटा परिजनों का पीछा, निशुल्क सेवाओं के नाम पर खुलेआम लूट!

झांसी मेडिकल कॉलेज में मौत के बाद भी नहीं छूटा परिजनों का पीछा, निशुल्क सेवाओं के नाम पर खुलेआम लूट!
झांसी मेडिकल कॉलेज में मौत के बाद भी नहीं छूटा परिजनों का पीछा, निशुल्क सेवाओं के नाम पर खुलेआम लूट!
सोशल मीडिया | इमरजेंसी सेवाओं में भी वसूली

एक ऐसा खुलासा जिसने मानवता को झकझोर कर रख दिया है। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में एक बेहद ही शर्मनाक मामला सामने आया है, जहाँ मौत के बाद भी परिजनों का पीछा नहीं छूटा। निशुल्क सेवाओं के नाम पर यहाँ खुलेआम लूट मची हुई थी, जिसने अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता की पोल खोल दी है।

झांसी मेडिकल कॉलेज में निशुल्क सेवाओं के नाम पर मरीजों के परिजनों से अवैध वसूली का मामला सामने आया है। इमरजेंसी वार्ड में मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए 495 रुपये, शव मोर्चरी तक ले जाने के लिए 300 रुपये और पंचनामा प्रक्रिया के दौरान 200 रुपये वसूले गए। मामले की जानकारी मिलते ही सीएमएस डॉ. सचिन माहुर ने दो सफाई कर्मियों और एक वार्ड बॉय को तत्काल प्रभाव से हटा दिया।

क्या है मामला?
शुक्रवार को गणेश चौराहा निवासी महिला राधा सिंह की एक कार दुर्घटना में मौत हो गई। परिजन जब उन्हें मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड लेकर पहुंचे तो डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसके बाद ड्यूटी पर तैनात वार्ड बॉय ने मृतका के पुत्र से मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए 495 रुपये मांगे। पुत्र ने इसे सरकारी शुल्क समझकर राशि दे दी। वहीं, सफाईकर्मियों ने शव को मोर्चरी ले जाने के लिए 300 रुपये और शनिवार सुबह पंचनामा भरने के दौरान 200 रुपये वसूले।

सीएमएस का सख्त कदम
मामला सामने आने पर सीएमएस डॉ. सचिन माहुर ने दोषी कर्मियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने बताया कि मृतकों के परिजनों से अवैध वसूली करने वाले सफाई कर्मियों और वार्ड बॉय को हटाने के साथ ही ऐसे अन्य कर्मियों की सूची तैयार की जा रही है। इन्हें 31 दिसंबर तक सेवा से हटाया जाएगा।

निशुल्क सेवाओं का उल्लंघन
मेडिकल कॉलेज के नियमों के अनुसार, इमरजेंसी वार्ड में मृत घोषित मरीजों का मृत्यु प्रमाणपत्र निशुल्क जारी किया जाता है। शव को मोर्चरी तक पहुंचाने और पंचनामा प्रक्रिया के लिए भी कोई शुल्क नहीं लिया जाता। इसके बावजूद, कर्मचारियों द्वारा भ्रमित कर अवैध वसूली की जा रही थी।

सूत्रों का खुलासा
मेडिकल कॉलेज के सूत्रों के मुताबिक, मृतकों के परिजनों को भ्रमित करने के लिए 495 या 490 रुपये की मांग की जाती है ताकि यह राशि सरकारी शुल्क प्रतीत हो। इसी कारण, अधिकतर परिजन इस पर सवाल नहीं उठाते।

सी एम एस का बयान
डॉ. सचिन माहुर ने कहा, “इमरजेंसी वार्ड से शव मोर्चरी ले जाने के 300 रुपये लेने वाले दो सफाई कर्मियों और मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए 495 रुपये लेने वाले वार्ड बॉय को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। ऐसे कर्मियों की सूची बनाई जा रही है, इन्हें 31 दिसंबर तक हटाया जाएगा।”


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