
समीर वानखेड़े:
नागपुर स्थित एम. मिडलैंड स्टोन कंपनी ने चंद्रपुर जिला खनन अधिकारी कार्यालय का फर्जी ‘लेटरपैड’ बनाकर और जिला खनन अधिकारी सुरेश नैतम के जाली हस्ताक्षर और अनधिकृत मुहर के साथ फर्जी ‘रॉयल्टी क्लीयरेंस’ प्रमाण पत्र का उपयोग करके सरकार को 1.5 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है। इस मामले में जिला खनन अधिकारी नैतम ने रामनगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है। नागपुर स्थित एम. मिडलैंड स्टोन कंपनी मध्य रेलवे को लघु खनिज आपूर्तिकर्ता के रूप में काम करती है। कंपनी ने उप मुख्य अभियंता, मध्य रेलवे, वर्धा को लघु खनिजों की आपूर्ति का काम किया है। सूत्रों के अनुसार, सरकारी निर्माण में उपयोग किए जाने वाले लघु खनिजों के स्वामित्व के संबंध में
जिला खनन अधिकारी कार्यालय स्वीकृति ली जाती है ।
रॉयल्टी का भुगतान करने के बाद परिवहन लाइसेंस जारी किया जाता है। यह कार्य पूर्ण होने के बाद जिला खनन अधिकारी कार्यालय द्वारा ‘रॉयल्टी क्लीयरेंस’ प्रमाण पत्र जारी किया जाता है, जिसमें बताया जाता है कि संबंधित एजेंसी से ठेकेदार का बकाया भुगतान करते समय गौण खनिज का आधिकारिक रूप से उपयोग किया गया है। उस आधार पर सरकारी एजेंसी ठेकेदार के बकाया से संबंधित ठेकेदार को रॉयल्टी राशि उपलब्ध कराती है। मिडलैंड स्टोन कंपनी को करीब डेढ़ करोड़ रुपए की रॉयल्टी राशि प्राप्त हो सके, इसके लिए चंद्रपुर जिला खनन अधिकारी कार्यालय का अनाधिकृत ‘लेटरपैड’ तैयार किया और फर्जी ‘रॉयल्टी क्लीयरेंस’ प्रमाण पत्र पर जिला खनन अधिकारी नैतम के जाली हस्ताक्षर किए। उसने ये सारे दस्तावेज अनधिकृत मुहर लगाकर मध्य रेलवे, वर्धा के उप अभियंता कार्यालय में जमा भी करवाए। मध्य रेलवे के उप अभियंता ने दस्तावेजों को सत्यापन के लिए चंद्रपुर के जिला खनन अधिकारी नैतम के पास भेजा। इस बीच, दस्तावेजों को देखने पर खनन अधिकारी नैतम ने पाया कि हस्ताक्षर, कार्यालय का ‘लेटरपैड’, मुहर और ‘रॉयल्टी क्लीयरेंस’ प्रमाण पत्र फर्जी थे।
पुलिस जांच में खनन अधिकारियों ने मध्य रेलवे के उप अभियंता को बताया कि कंपनी द्वारा प्रस्तुत सभी दस्तावेज फर्जी और जाली हैं। इस संबंध में पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई गई है और आगे की जांच जारी है। बताया जा रहा है कि जिले में गौण खनिजों की तस्करी में शामिल कुछ बड़े ठेकेदार इन सभी फर्जी दस्तावेजों को तैयार करने में शामिल हैं।