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☀️सावल तो बनता है🌟 समय पर मिलता उपचार तो बच जाती प्रधान आरक्षक की जान, जिले के सबसे बड़े समारोह में हुए जिले की चिकित्सा व्यवस्था की बदहाली के दर्शन, कर्मचारियों में रोश

☀️सावल तो बनता है🌟 समय पर मिलता उपचार तो बच जाती प्रधान आरक्षक की जान, जिले के सबसे बड़े समारोह में हुए जिले की चिकित्सा व्यवस्था की बदहाली के दर्शन, कर्मचारियों में रोश

 

कटनी। झिंझरी पुलिस लाइन में आयोजित 78 वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान आयोजित परेड के बाद एक SAF जवान को घबराहट और बेचैनी हुई और वो बेहोश हो गया।

ऐसा क्यों हुआ किसी को कुछ पता नहीं था। घटना से वहां अफरा तफरी मच गई। घटना के कारण सब एम्बुलेंस के ड्राइवर को ढूंढ रहे थे। जैसे तैसे 10 मिनट बाद एम्बुलेंस का ड्राइवर मिला तब मेडिकल एक्सपर्ट को ढूंढने लगे। तब तक उनको एक अटैक आ चुका था और पल्स जा चुकी थी। मगर उनके स्टाफ के एक साथी ने पम्पिंग करके प्रधान आरक्षक की पल्स वापस ला दी।

बड़ी मुश्किल से एक डॉक्टर साहब मिले, उन्हें जो भी समझ आया तो वो वहीं पर मौजूद एक कार्डियोलॉजिस्ट को फ़ोन लगाने लगे। फोन लगाने पर भी कोई रिस्पांस नहीं मिला। बाद में जब कोई उपचार नहीं मिला तब जाकर एम्बुलेंस रवाना हुई।

चिकित्सालय पहुँचने पर पता चला कि यदि थोड़ी देर पहले पहुंचते तो कुछ सम्भावना थी।

अंततः उनका देवलोक गमन हो गया।

उनका नाम था प्रधान आरक्षक मनोज यादव, बिहार के रहने वाले प्रधान आरक्षण मनोज यादव की पार्थिव देह अब गृह ग्राम पहुंच चुकी है।

मगर यह पूरी घटना मुझे विचलित कर गयी कि इतने बड़े समारोह में जिले के प्रभारी मंत्री एवं मध्यप्रदेश शासन के मंत्री, विधायक, महापौर, अध्यक्ष, कलेक्टर महोदय, पुलिस अधीक्षक महोदय, IFS, सिविल जज और ना जाने कौन कौन से अधिकारी और कर्मचारी वहां मौजूद थे, पर किसी को कुछ भी हो जाता तो कौन जवाबदारी लेता। यदि चिकित्सीय व्यवस्था इतने महत्वपूर्ण आयोजन में नगण्य है तो सामान्य स्थिति में तो और भी भयावह होगी।

अत्यंत दयनीय, दुःखद और जिले की चिकित्सा व्यवस्था को लेकर बड़ी शर्मनाक स्थिति है यह। इस तरफ शासन प्रशासन का ध्यान अब तक क्यों नही गया यह प्रश्न सभी के मन में उठ रहा है।

सिर्फ 15 मिनट पहले सही उपचार मिल जाता या चिकित्सालय पहुंच जाते तो शायद एक परिवार का सम्बल सुरक्षित रहता। कुछ इसी तरह की पीड़ जाहिर करते हुए पटवारी प्रकाश गुप्ता ने कहा की ऐसे में हम छोटे कर्मचारी भयंकर अनिश्चितताओं के साथ फील्ड में एवम आफिस में कार्य कर रहे हैं जो कई जगह तो संचारविहीन भी हैं। अतः इस ओर भी ध्यान देने की महत्ता से कृपा करें की आपातकालीन स्थिति में कभी आवश्यकता पड़े तो चिकित्सीय सहयोग मिल सके। जिससे समयाभाव या प्राथमिक उपचार के अभाव में कोई दुर्घटना, हानि का सामना ना करना पड़े। जो घटना प्रधान आरक्षक मनोज यादव के साथ हुई वह किसी के साथ भी हो सकती थी इसलिए यह सवाल तो बनता है।

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