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क्या है शिव मंदिर विवाद? जिस पर दो बौद्ध बहुल देशों में छिड़ गया संग्राम; F-16 से रॉकेट लॉन्चर तक तैनात

क्या है शिव मंदिर विवाद? जिस पर दो बौद्ध बहुल देशों में छिड़ गया संग्राम; F-16 से रॉकेट लॉन्चर तक तैनात

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क्या है शिव मंदिर विवाद? जिस पर दो बौद्ध बहुल देशों में छिड़ गया संग्राम; F-16 से रॉकेट लॉन्चर तक तैनात

भारत से करीब 5000 KM की दूरी पर स्थित दक्षिण-पूर्व एशिया के दो पड़ोसी देश, थाइलैंड और कंबोडिया में चल रहा सीमा विवाद गुरुवार को खूनी संघर्ष में तब्दील हो गया। इस संघर्ष में थाइलैंड के नौ नागरिकों की मौत हो गई है और कई अन्य घायल हैं। गुरुवार देर शाम तक दोनों देशों के सीमांत इलाकों में रुक-रुक कर गोलीबारी होती रही। इससे एक दिन पहले यानी बुधवार को दोनों देशों की सीमा पर एक लैंडमाइन्स विस्फोट हुआ था, जिसमें थाइलैंड के पांच सैनिक घायल हो गए थे।

 इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्ते तेजी से बिगड़े और थाइलैंड ने कंबोडिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया। इतना ही नहीं थाइलैंड ने कंबोडिया के राजदूत को अपने देश से निकाल दिया। इसके अगले ही दिन यानी गुरुवार की सुबह थाइलैंड ने लड़ाकू विमान F-16 से कंबोडिया के कई सीमाई इलाकों में हमला बोल दिया। इसके बाद दोनों देशों की तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई।

          9 की मौत, 14 घायल

‘बैंकाक पोस्ट’ ने जानकारी दी है कि कंबोडिया के हमले में एक बच्चे सहित नौ थाई नागरिकों मारे गए हैं और 14 अन्य घायल हो गए हैं, जबकि कंबोडिया में हताहतों की जानकारी नहीं मिल सकी। रायल थाई आर्मी के हवाले से बताया गया कि कंबोडिया की सेना ने रॉकेट लॉन्चर से रॉकेट दागे और आम लोगों को निशाना बनाया। इस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए थाइलैंड ने सीमाई इलाकों में एफ-16 लड़ाकू विमान तैनात कर दिए। थाई वायुसेना ने भी दो कंबोडियाई इलाके में बमबारी की है। थाई शासन ने कंबोडिया गए अपने नागरिकों को फौरन देश वापसी का आदेश दिया है।

      दोनों पड़ोसी बौद्ध धर्म बहुल देश

ये दोनों पड़ोसी देश बौद्ध धर्म बहुल देश हैं। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया है। कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मानेत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से थाइलैंड और कंबोडियाई सैनिकों के बीच झड़पों को रोकने के लिए “तत्काल बैठक” बुलाने का अनुरोध किया है। मानेत ने कहा कि थाइलैंड के गंभीर हमले के चलते क्षेत्र में शांति और स्थिरता को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने थाइलैंड पर सीमावर्ती क्षेत्रों में कंबोडियाई इलाकों पर ‘बिना उकसावे, पूर्वनियोजित और जानबूझकर हमले’ करने का आरोप लगाया है।

कंबोडिया के प्रमुख मीडिया ‘खमेर टाइम्स’ ने सेना के हवाले से बताया है कि देश के ओड्डार मींचे प्रांत में ता मोआन थॉम मंदिर और ता क्रा बेई मंदिर इलाकों सहित दूसरे प्रांतों में सेनाएं देश की रक्षा कर रही है। कंबोडियन-थाई सशस्त्र संघर्ष ता मोआन थॉम मंदिर से प्रारंभ हुआ, जो जल्द ही कंबोडियन-थाई सीमा के साथ अन्य युद्धक्षेत्रों तक फैल गया। कंबोडिया का आरोप है कि यह लड़ाई तब शुरु हुई जब थाई पक्ष ने ता मोआन थॉम मंदिर पर गोलाबारी की। इस बीच, चीन और मलेशिया ने दोनों देशों से आपसी तनाव घटाने का आग्रह किया है।

  दोनों बौद्ध देशों के बीच सीमा विवाद पुराना

बता दें कि थाइलैंड और कंबोडिया के बीच 817 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है, जिसे फ्रांस ने तय किया था। ये दोनों देश पहले फ्रेंच उपनिवेश थे। कंबोडिया पर शासन करने के दौरान ही फ्रांस ने ये सीमा तय की थी। कंबोडिया पर 1863 से लेकर 1963 तक फ्रांस का शासन था। इसी दौरान 1907 में फ्रांस ने दोनों के बीच सीमा निर्धारण किया था। उस समय सीमा पर स्थित प्रीह विहार मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा बताया गया था, जिसे थाईलैंड ने मानने से इनकार कर दिया था। तब से इस मंदिर को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद है।

         क्या है शिव मंदिर विवाद?

दोनों बौद्ध देशों की सीमा पर स्थित प्रीह विहार मंदिर है।

दरअसल, यह एक हिन्दू मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इसे शिव मंदिर भी कहते हैं और यह UNESCO की सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल है। यह एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर में 800 सीढ़ियां हैं। इसका निर्माण 11वीं शताब्दी ईस्वी के पूर्वार्ध में हुआ था। हालांकि, इसका जटिल इतिहास 9वीं शताब्दी से जुड़ा है। मंदिर का निर्माण खमेर साम्राज्य के राजा यशोवर्मन प्रथम के शासनकाल के दौरान शुरू हुआ और बाद में अन्य राजाओं द्वारा इसे पूरा किया गया। UNESCO के कदम से तनाव और गहराया

इस मंदिर पर थाइलैंड शुरू से ही अपना दावा करता रहा है। 1959 में कंबोडिया इस मामले को लेकर इंटरनेशनल कोर्ट पहुंचा, जहां तीन सालों तक ये मामला चला, फिर 1962 में कंबोडिया के पक्ष में फैसला सुनाया गया। थाइलैंड ने इंटरनेशनल कोर्ट का फैसला तो मान लिया लेकिन मंदिर के आसपास के इलाकों को लेकर अड़ गया और वहां की करीब 4.6 वर्ग किमी जमीन पर अपना कब्जा ठोक दिया। यह विवाद 2008 में तह और गहरा गया, जब UNESCO ने इस ऐतिहासिक मंदिर को अपनी विरासत सूची में शामिल कर लिया। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव गहराता गया और समय-समय पर दोनों भिड़ते रहे हैं।

   विवादित जमीन भी कंबोडिया के हवाले

2011 में भी दोनों देशों के बीच संघर्ष हुआ था जिसमें 18 लोग मारे गए थे और हजारों की आबादी विस्थापित हुई थी। इसके बाद कंबोडिया उस विवादित जमीन का मामला लेकर फिर इंटरनेशनल कोर्ट पहुंचा। 2013 में इंटरनेशनल कोर्ट ने फैसला सुनाया कि विवादित जमीन भी कंबोडिया का होना चाहिए। तब से दोनों देशों के बीच शांति चली आ रही थी, और वहां सीमाई इलाकों में पहलेस से बिछाई गई लैंडमाइन्स को हटाने की प्रक्रिया भी चल रही थी लेकिन बुधवार को हुए लैंडमाइन्स विस्फोट ने अब नए संघर्ष को जन्म दे दिया है।

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