
-जलस्तर में कमी, बर्बाद हो रही धान की फसल का आकलन शुरू -बाढ़ प्रभावित 250 परिवारों में हुआ राहत सामग्री का वितरण
78 पशुपालकों में 20 क्विंटल भूसे का हुआ वितरण
राजेसुल्तानपुर (अंबेडकरनगर)। सरयू नदी के जलस्तर में तेजी से हो रही कमी के बावजूद लगभग एक दर्जन मजरे अभी भी बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं। इसे देखते हुए बृहस्पतिवार को एसडीएम सुभाष सिंह व पूर्व भाजपा विधायक अनीता कमल की मौजूदगी में जहां बाढ़ प्रभावित 250 परिवारों में राहत सामग्री का वितरण हुआ तो वहीं 78 पशुपालकों में लगभग 20 क्विंटल भूसे का भी वितरण किया गया। इसके साथ ही बाढ़ के पानी से प्रभावित हुई धान की फसल के आकलन का निर्देश एसडीएम ने राजस्व कर्मियों को दिए हैं।
तेजी से कम होते जलस्तर के बीच बृहस्पतिवार को सरयू नदी का पानी 84.98 मीटर पर पहुंच गया। इससे माझा क्षेत्र के लोगों ने राहत की सांस जरूरी ली, लेकिन लगभग एक दर्जन मजरों के चारों तरफ अभी भी बाढ़ का पानी बने रहने से मुश्किलें बरकरार हैं। इसे देखते हुए डीएम अविनाश सिंह के निर्देश पर बृहस्पतिवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में प्रभावितों में राहत सामग्री का भी वितरण किया गया।
बाढ़ चौकी बनाए गए प्राथमिक स्कूल बरोही पांडेय का पूरा परिसर में शिविर लगाकर बाढ़ प्रभावित 250 परिवारों में राहत सामग्री का वितरण हुआ। एसडीएम व पूर्व भाजपा विधायक की मौजूदगी में बाढ़ प्रभावितों में चना, तेल, दाल, चावल, आटा, मसाला, चीनी, समेत अन्य खाद्य सामग्रियों का वितरण हुआ। एसडीएम ने बताया कि यदि आवश्यक हुआ तो और भी परिवारों में राहत सामग्री का वितरण किया जाएा।
इसके साथ ही दर्शननगर बंधा के निकट शिविर के माध्यम से डॉ. श्रीनिवास व डॉ. विवेक सिंह की मौजूदगी में 78 पशुपालकों में 20 क्विंटल भूसे का वितरण हुआ। साथ ही पशुपालकों को पशुओं को बीमारियों से बचाने के बारे में जानकारी दी गई। आश्वस्त किया गया कि पशुओं के लिए चारे की कमी नहीं होने दी जाएगी। हालांकि पशुपालकों ने इस बीच शिकायत दर्ज कराया कि खेतों में बाढ़ का पानी भरा होने के चलते हरे चारे का संकट खड़ा हो गया है।
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बर्बाद हुई फसल का होगा आकलन
माझा कम्हरिया व अराजी देवारा ग्राम पंचायत के ग्रामीणों का कहना है कि लगभग 150 बीघा धान की फसल पूरी तरह से अभी भी डूबी हुई है। इससे इस पर प्रतिकूल असर पड़ना प्रारंभ हो गया है। फसल के गलने से अब उपज निकालना भी मुश्किल हो गया है। यदि दो तीन दिन पानी बना रहा तो पूरी तरह से धान की फसल खराब हो जाएगी। परमात्मा, राघवेंद्र, तालुकदार, लालजी, कृपाशंकर, सतिराम, विजय, रामआसरे, राजेश कुमार, रामचंद्र, संतोष, रामजीत, रोहित, अनिल ने कहा कि धान की फसल अब लगभग बर्बाद हो चुकी है। इससे धान किसानों को बड़ी आर्थिक चपत लगेगी। इस बीच धान किसानों के हित को देखते हुए एसडीएम सुभाष सिंह ने बृहस्पतिवार को सभी राजस्व कर्मचारियों को निर्देशित किया है कि वे अपने अपने क्षेत्र में पानी में डूबी धान फसल का आंकलन करें। माना जा रहा है कि शीघ्र ही किसानों को उचित मुआवजा भी मिलेगा।
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जारी है नाव का संचालन
अभी भी करिया लोनिया का पूरा, हंसू का पूरा, सिद्धनाथ व कुर्मी प्रसाद का पूरा संपर्क मार्ग पर बाढ़ का पानी बरकरार है। इससे संबंधित क्षेत्र में नाव का संचालन बृहस्पतिवार को भी जारी रहा। ऐसे में छात्र-छात्राओं व अन्य ग्रामीणों को आवागमन के लिए नाव का सहारा लेने को मजबूर होना पड़ा। सामाजिक कार्यकर्ता मित्रसेन ने इस बीच मांग करते हुए कहा कि जलस्तर में कमी होने के साथ ही कटान का खतरा बढ़ने लगा है। ऐसे में इसे रोकने के लिए समय रहते सभी जरूरी प्रबंध कर लिए जाएं जिससे संबंधित क्षेत्र के ग्रामीणों को किसी भी प्रकार की मुश्किल न हो।
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रखी जा रही पैनी निगाह
जलस्तर में तेजी से कमीं हो रही है। कटान रोकने को लेकर सभी जरूरी प्रबंध किए गए हैं। बाढ़ प्रभावितों में न सिर्फ राहत सामग्रियों का वितरण किया जा रहा बल्कि राजस्व कर्मियों से धान की फसल का आकलन कराया जा रहा है।
सुभाष सिंह, एसडीएम आलापुर