सुनामी के जोख़िम को कम करने के लिए जागरूकता-शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल ह्यूमन सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि
26 दिसंबर, 2004 को हिंद महासागर में आए भूकंप के कारण विनाशकारी सुनामी आई, जिसमें दुखद रूप से लगभग 230,000 लोगों की जान चली गई और 14 देश प्रभावित हुए। यह घटना 21वीं सदी की पहली बड़ी वैश्विक आपदा थी और हाल के इतिहास में सबसे घातक आपदाओं में से एक बनी हुई है।जीवित बचे लोगों ने जो सबक सीखे हैं, जैसे सुनामी के चेतावनी संकेतों को पहचानना और ऊंची जमीन की तलाश करना , वे उनकी यादों में अंकित हो गए हैं। हालाँकि, जैसे-जैसे हम आपदा की 20वीं वर्षगांठ के करीब पहुँच रहे हैं, एक नई पीढ़ी जिसने या तो बहुत कम उम्र में इसका अनुभव किया है, या जो घटना के बाद पैदा हुई है, वे इन सबकों से लाभ उठा सकते हैं जो पुराने बचे लोगों ने सीखे हैं।
थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार डॉ कंचन जैन ने कहा कि इस वर्ष विश्व सुनामी जागरूकता दिवस की थीम अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस और भविष्य के शिखर सम्मेलन के साथ मेल खाती है, जिसका ध्यान “युवा और भावी पीढ़ियों” पर है। इस आयोजन के लिए नियोजित गतिविधियों का उद्देश्य बच्चों और युवाओं की नई पीढ़ी को इसके सबक सिखाकर हिंद महासागर सुनामी की 20वीं वर्षगांठ मनाना है।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, डॉ आरके शर्मा, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी, शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन,बीना एडवोकेट आदि ने कहा कि सुनामी जानलेवा हो सकती है, लेकिन ऐसा होना ज़रूरी नहीं है। लोगों की सुरक्षा, जीवन बचाने और खतरे को आपदा बनने से रोकने के लिए समय रहते चेतावनी देना और समय रहते कार्रवाई करना प्रभावी उपाय हैं