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मुख्यमंत्री की मौजुदगी में कोर्ट के आदेश की अवमानना

शहर में लगाए गए जगह जगह मुख्यमंत्री के तस्वीर वाले अवैध होर्डिंग्स

समीर वानखेड़े चंद्रपुर महाराष्ट्र:
अनाधिकृत बोर्ड, पोस्टर, बैनर और स्वागत द्वार लगाने वाले आम नागरिकों के खिलाफ नगर पालिकाओं ने पुलिस से शिकायत कर अपनी पीठ थपथपाई। हालांकि, नगर निगम आयुक्त विपिन पालीवाल की फिर भी विभिन्न राजनीतिक दलों के अनाधिकृत होर्डिंग को छूने की हिम्मत नहीं हुई।
दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस के दौरे के मौके पर बीजेपी नेताओं ने बिना अनुमति के शहर में स्वागत बोर्ड लगा दिए थे। इस कार्यक्रम में पालीवाल भी मौजूद थे। लेकिन उन्हें हाईकोर्ट का आदेश याद नहीं रहा. मुख्यमंत्री की मौजूदगी में कोर्ट के आदेश को रौंदा गया। साथ ही चंद्रपुर के लोगों ने इस पोस्टर देख म न पा आयुक्त पर अपना गुस्सा जाहिर किया है।
चंद्रपुर नगर निगम के तीनों जोनल कार्यालयों द्वारा दो दिन पहले महाराष्ट्र विद्रुपीकरण अधिनियम 1995 और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम 1984 के तहत मामला दर्ज करने को लेकर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई थी। अनाधिकृत रूप से विज्ञापन लगाने से सरकारी धन की हानि होती है। नगर पालिका का कहना है कि इससे शहर को सुंदर बनाने के काम में भी बाधा उत्पन्न होती है।
घाटकोपर में होर्डिंग की घटना के बाद सुस्वराज फाउंडेशन ने जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने शहर में लगे अनाधिकृत होर्डिंग, बैनर और होर्डिंग के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया था। तदनुसार, आयुक्त विपीन पालीवाल के मार्गदर्शन में, चंद्रपुर नगर निगम द्वारा एक खोज अभियान चलाया जा रहा है। इससे पहले नगर निगम क्षेत्र के मुद्रकों व राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उन्हें हाइकोर्ट के आदेश से अवगत कराया गया।
इसी बीच सांसद प्रतिभा धानोरकर के जन्मदिन के मौके पर शहर में अनाधिकृत ग्रीटिंग बोर्ड लगा दिया गया। इसके बाद कमिश्नर ने सीधे सांसद धानोरकर को पत्र भेजकर हाई कोर्ट के फैसले की याद दिलाई। लेकिन उन्होंने बोर्ड हटाने की हिम्मत नहीं दिखाई।
इस बीच मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस के दौरे के मौके पर शहर के मुख्य चौराहों और बिजली के खंभों पर सैकड़ों अनाधिकृत होर्डिंग लगा दिये गये। इस संबंध में आयुक्त ने विधायक किशोर जोरगेवार को पत्र भी भेजा।  विज्ञापन नीति को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया है। इसमें शपथ पत्र दाखिल कर कहा गया है कि राजनीतिक दल की ओर से कोई भी अनाधिकृत बैनर, होर्डिंग कटआउट नहीं लगाया जाएगा।इसके बावजूद, होर्डिंग्स लगाने का कार्य राजनीतिक दलों द्वारा किया जा रहा है। नागरिकों को परेशानी हो रही है। दुर्घटना की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। पत्र में कहा गया है कि यह गंभीर मामला है। लेकिन, कमिश्नर की आंखों के सामने शहर में जगह-जगह अनाधिकृत बैनर और होर्डिंग्स लगाए जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती।
यह कोर्ट के आदेश की अवमानना है। इस मौके पर यह सवाल भी उठ रहा है कि कोर्ट का आदेश सिर्फ आम लोगों के लिए ही बाध्यकारी क्यों है? जब आयुक्तों को राजनीतिक दलों के बोर्डों पर कार्रवाई करनी होगी तभी यह साबित होगा कि नगर निगम की रीढ़ है, ।

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