
अंबेडकरनगर। प्री प्राइमरी शिक्षा और बच्चों व गर्भवती महिलाओं की सेहत संभालने के लिए ढाई हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 441 केंद्रों के पास निजी भवन हैं।
ज्यादातर केंद्र परिषदीय विद्यालय या किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं। अब इन आंगनबाड़ी केंद्रों को निजी भवन मुहैया कराए जाने की कवायद शुरू की गई है। इसके लिए चिह्नांकन किया जा रहा है। जल्द प्रस्ताव तैयार कर शासन को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
बता दें कि जिले में 2551 आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन हो रहा है, जहां 2,27,152 बच्चे, 24,695 धात्री महिलाएं पंजीकृत हैं। इनमें 2,110 केंद्र ऐसे हैं, जिनका संचालन या तो परिषदीय विद्यालय में हो रहा है या किराए के भवनों में। सिर्फ 431 केंद्रों के पास ही अपने निजी भवन है। कुछ विद्यालयों में दो-दो केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। इससे आंगनबाड़ी केंद्रों पर दी जाने वाली सुविधाएं प्रभावित हो रही हैं। अब सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को स्वयं का भवन मुहैया कराने की प्रक्रिया शुरू की गई है। जिला कार्यक्रम अधिकारी एसके सिंह ने बताया कि प्रथम चरण में 134 केंद्रों का चिह्नांकन किया जा रहा है, जिनके पास न तो निजी भवन हैं और न ही परिषदीय विद्यालय में संचालित हो रहे हैं। इसके बाद परिषदीय विद्यालय में संचालित होने वाले 1,986 केंद्रों के लिए अलग से भवन निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। यहां रसोई, बच्चों के लिए फर्नीचर, उपकरण, खिलौने इत्यादि भी मुहैया कराए जाएंगे।
मिलती हैं ये सुविधाएं
आंगनबाड़ी केंद्रों पर छह माह से लेकर छह साल तक की उम्र के बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जाता है, जिसमें खिचड़ी, दलिया, चावल-दाल, दूध व कई चीजें शामिल होती हैं। इसके अलावा बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें कई गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए टीके भी लगवाए जाते हैं। गर्भवती महिलाओं एवं कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य की निगरानी के साथ पौष्टिक आहार मुहैया कराया जाता है।
कराया जा रहा सर्वे
सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को निजी भवन उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू की गई है। सर्वे कराया जा रहा है। प्रतिदिन मॉनीटरिंग हो रही है। जल्द प्रस्ताव भेजा जाएगा। -आनंद कुमार शुक्ला, सीडीओ