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महाकुंभ मेले में भगदड़ से 30 लोगों की मौत, 25 की हुई पहचान, हादसे के बाद 90 पहुंचाए गए अस्पताल

महाकुंभ - कुंभ में बार-बार क्यों मचती है भगदड़? 1954 से अब तक हो चुके हैं 5 बड़े हादसे..

महाकुंभ में भगदड़: महाकुंभ मेले में बुधवार तड़के संगम नोज पर मची भगदड़ की वजह से अब तक तीस लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। महाकुंभ मेला प्रशासन द्वारा यह जानकारी दी गई। महाकुंभ मेले के DIG वैभव कृष्ण ने बताया कि महाकुंभ में रात 1 से 2 बजे के बीच हुई भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई है। इनमें से 25 की पहचान की जा चुकी है। डीआइजी महाकुंभ वैभव कृष्ण ने बताया कि हादसे के बाद 90 लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया।

महाकुंभ में बुधवार तड़के संगम पर ‘भगदड़ जैसी’ स्थिति पैदा हो गई. अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है. आज मौनी अमावस्या के अवसर पर पवित्र स्नान के लिए बड़ी संख्या में तीर्थयात्री उमड़ पड़े थे. बुधवार को महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान था जिसे रद्द कर दिया गया है. अब अखाड़े बसंत पंचमी वाले दिन अमृत स्नान करेंगे.

कुंभ मेला प्राधिकरण की विशेष कार्यकारी अधिकारी अकांक्षा राणा ने कहा, ‘संगम रूट पर कुछ बैरियर्स के टूटने से भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई. कुछ लोग घायल हुए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उनका इलाज चल रहा है.’ उन्होंने कहा कि हमें अभी तक घायलों की सही संख्या नहीं पता है.

11 से 17 नंबर पोल के बीच हुआ हादसा

घायलों को मेला क्षेत्र के सेक्टर 2 में स्थापित केंद्रीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है. कई घायलों के रिश्तेदार भी वहां पहुंचे हैं. साथ ही कुछ वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी भी वहां मौजूद हैं. जानकारी के मुताबिक, हादसा संगम नोज पर 11 से 17 नंबर पोल के बीच हुआ है, जिसमें कई लोग घायल हो गए और कई अपने परिवारों से बिछड़ गए.

आज का अमृत स्नान रद्द

असम और मेघालय से आए कई परिवारों ने बताया कि भगदड़ अचानक मची. कई लोग एक साथ गिर गए जिसमें करीब 30 से 40 लोग घायल हो गए. हालांकि घायलों की संख्या अभी अपुष्ट है. महाकुंभ में संगम स्थली पर मची भगदड़ के बाद आज का अमृत स्नान रद्द कर दिया गया है. अखाड़ा परिषद ने यह फैसला लिया है.

बसंत पंचमी को होगा अमृत स्नान

इससे पहले मेला प्रशासन ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्रपुरी से फिलहाल अखाड़ों के अमृत स्नान को रोकने की अपील की थी, जिसके बाद आज के अमृत स्नान को रद्द कर दिया गया. अखाड़े स्नान के लिए संगम पहुंचने लगे थे जो अब वापस लौट चुके हैं. अखाड़ा परिषद ने घोषणा की है कि अखाड़ों का अमृत स्नान अब बसंत पंचमी पर होगा.

महाकुंभ में मौनी अमावस्या से एक दिन पहले ही लोगों का हुजूम जुटने लगा था. प्रयागराज की सड़कों से लेकर गलियां सब फुल हैं. रेलवे स्टेशन हो या फिर बस स्टैंड, कहीं पर भी पैर रखने तक की जगह नहीं है. मौनी अमावस्या को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह कुछ ऐसा है कि वो हर तकलीफ उठाने को तैयार हैं.

महाकुंभ मेले में हुए इस हादसे पर पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने प्रयागराज कुंभ मेले में हुई भगदड़ की घटना पर दुख जताया है। कांग्रेस पार्टी के यूपी अध्यक्ष अजय राय ने भगदड़ की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि महाकुंभ को पूरी तरह से इवेंट बना दिया। सनातन का हमारा महापर्व पूरी तरह ध्वस्त हो गया। सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई। उत्तर प्रदेश सूचना विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, शाम पांच बजे तक कुंभ में करीब 5.71 करोड़ लोग डुबकी लगा चुके हैं। कुंभ मेला शुरू होने के बाद के अगर आंकड़ों की बात की जाए तो यह संख्या 19.94 से ज्यादा है।

हर 12 साल में आयोजित होने वाले महाकुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु पुण्य स्नान के लिए आते हैं, लेकिन इतिहास गवाह है कि भीड़ प्रबंधन में थोड़ी सी चूक बड़ी त्रासदी का कारण बन सकती है। 1954 से लेकर 2025 तक, कई बार कुंभ मेले में भगदड़ मची और हजारों श्रद्धालु अपनी जान गंवा बैठे। बुधवार (29 जनवरी) को प्रयागराज में मौनी अमावस्या के स्नान के दौरान भारी भीड़ के कारण भगदड़ जैसी स्थिति बनी, जिसमें कई लोग घायल हो गए। आइए जानते हैं, महाकुंभ के अब तक के सबसे बड़े हादसों के बारे में।

1954: आजादी के बाद का पहला कुंभ और भीषण त्रासदी

3 फरवरी 1954 को प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या स्नान के समय भगदड़ मच गई। यह घटना तब हुई जब अचानक कुछ अफवाहें फैलीं, जिससे श्रद्धालुओं में अफरा-तफरी मच गई। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि लोग एक-दूसरे को कुचलते चले गए। इस त्रासदी में लगभग 800 लोगों की जान चली गई, जबकि हजारों श्रद्धालु घायल हुए। यह भारत के इतिहास की सबसे भीषण भगदड़ में से एक थी। इस हादसे के बाद कुंभ मेले में भीड़ नियंत्रण के लिए कई कड़े नियम लागू किए गए, लेकिन हादसों का सिलसिला जारी रहा।

1986: हरिद्वार कुंभ में वीआईपी मूवमेंट बना हादसे की वजह
1986 के हरिद्वार महाकुंभ के दौरान एक और बड़ी भगदड़ हुई, जिसमें करीब 200 लोगों की मौत हो गई। यह हादसा तब हुआ जब तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह और कई अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री संगम स्नान के लिए पहुंचे। सुरक्षा बलों ने आम श्रद्धालुओं को किनारे से दूर कर दिया, जिससे गुस्साई भीड़ बेकाबू हो गई। लोगों ने जबरन बैरिकेड तोड़ दिए और अफरा-तफरी में बड़ी संख्या में लोग कुचले गए। यह घटना प्रशासन की लापरवाही का बड़ा उदाहरण बनी, जिसके बाद वीआईपी मूवमेंट को नियंत्रित करने के नए नियम बनाए गए।

2003: नासिक कुंभ में गोदावरी नदी किनारे मची भगदड़
2003 में महाराष्ट्र के नासिक में आयोजित महाकुंभ के दौरान 27 अगस्त को एक बड़ा हादसा हुआ। गोदावरी नदी में स्नान के लिए उमड़ी लाखों की भीड़ अचानक बेकाबू हो गई, जिससे भगदड़ मच गई। इस घटना में 39 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक श्रद्धालु घायल हो गए। विशेषज्ञों के मुताबिक, भीड़ को काबू करने में नाकामी और संकीर्ण रास्तों की वजह से यह हादसा हुआ था। इसके बाद प्रशासन ने कुंभ मेले के दौरान एंट्री और एग्जिट प्वाइंट्स को बेहतर करने पर ध्यान दिया, लेकिन हादसे पूरी तरह से रुक नहीं पाए।

2013: प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर मची अफरा-तफरी
10 फरवरी 2013 को प्रयागराज महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर उमड़ पड़ी। भीड़ इतनी अधिक थी कि स्टेशन पर बने एक फुटब्रिज पर अचानक भगदड़ मच गई। इस हादसे में 42 लोगों की मौत हो गई और 45 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा तब हुआ जब महाकुंभ स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्टेशन पहुंचे। प्रशासन की ओर से भीड़ नियंत्रण की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। घटना के बाद रेलवे स्टेशनों पर भीड़ को काबू करने को लेकर नई गाइडलाइंस जारी की गईं।


2025: मौनी अमावस्या स्नान पर प्रयागराज में फिर मची भगदड़
29 जनवरी 2025 को प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान एक बार फिर भगदड़ जैसी स्थिति बनी। मौनी अमावस्या स्नान के दिन संगम नोज पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा हो गई, जिससे बैरिकेड टूट गए और अफरा-तफरी मच गई। कई लोगों के घायल होने की खबर आई, जबकि कुछ मौतों की भी आशंका जताई गई। इस घटना के बाद अखाड़ों ने अमृत स्नान को रोक दिया, जिससे हालात और बिगड़ गए। प्रशासन ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया और घायलों को अस्पताल भेजा, लेकिन यह घटना एक बार फिर महाकुंभ की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर गई।

महाकुंभ हादसों से क्या सबक लिया जाना चाहिए?
महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में क्राउड मैनेजमेंट सबसे बड़ी चुनौती होती है। अब तक हुई भगदड़ों से यह साफ हो गया है कि प्रशासन को सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने होंगे। कुंभ मेले में वीआईपी मूवमेंट को सीमित करना, भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए पर्याप्त बैरिकेडिंग करना और सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाना बेहद जरूरी है। इसके अलावा, डिजिटल स्क्रीन और ड्रोन कैमरों के जरिए भीड़ पर नजर रखना भी बेहद आवश्यक हो गया है।

भविष्य के कुंभ मेले के लिए प्रशासन की तैयारियां
हर कुंभ मेले के बाद प्रशासन नए सुरक्षा उपायों को लागू करने की बात करता है, लेकिन फिर भी हादसे नहीं रुकते। अब समय आ गया है कि कुंभ मेले में प्रवेश को चरणबद्ध किया जाए, ताकि किसी भी स्थान पर अचानक भीड़ न बढ़े। इसके अलावा, एक मजबूत आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र तैयार करना होगा, जिससे किसी भी अप्रिय स्थिति से तुरंत निपटा जा सके। तकनीक के इस्तेमाल से भीड़ प्रबंधन को और बेहतर बनाया जा सकता है, ताकि भविष्य में कुंभ मेले में भगदड़ जैसी घटनाओं को रोका जा सके।

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Vishal Leel

Sr Media person & Digital Creator
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