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प्रयागराज में गंगा–यमुना का पानी स्नान लायक नहीं:सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने 73 जगहों के पानी की टेस्टिंग की, NGT में रिपोर्ट पेश की..!!
*प्रयागराज*
13 जनवरी से शुरू हुए महाकुम्भ में अब तक 54 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं।
प्रयागराज महाकुंभ में गंगा–यमुना के संगम में स्नान चल रहा है। अब तक 54 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु डुबकी लगा चुके हैं, इस बीच सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट आई है, इसमें बताया गया है कि दोनों नदियों का पानी स्नान करने लायक नहीं है।
CPCB ने 17 फरवरी को अपनी रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में दाखिल की है।
CPCB ने प्रयागराज में 9 से 21 जनवरी के बीच कुल 73 अलग-अलग जगहों से सैंपल इकट्ठा किया। अब उसके जांच के नतीजे जारी किए हैं। सें
ट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट में गंगा और यमुना नदी के पानी को लेकर क्या कुछ बताया गया है, इस रिपोर्ट में पढ़िए-
संगम में स्नान करते श्रद्धालु। अब तक 54 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु डुबकी लगा चुके हैं।
*6 मानकों पर जांचा गया गंगा और यमुना नदी का पानी*
सेंट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड ने जो रिपोर्ट जारी की है उसमें कुल 6 पैमानों पर गंगा और यमुना नदी के पानी को जांचा गया है। इसमें पीएच यानी पानी कितना अम्लीय या क्षारीय है, फीकल कोलीऑर्म, BOD यानी बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड, COD यानी केमिकल ऑक्सीजन डिमांड और डिजॉल्बड ऑक्सीजन शामिल है। इन छह पैमानों पर जितनी भी जगहों से सैंपल लिए गए हैं उनमें ज्यादातर में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा मानक से अधिक पाया गया है। इसके अलावा 5 अन्य पैमानों पर पानी की गुणवत्ता मानक के अनुरूप है।
जिले में सभी सैंपल पॉइंट पर फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया तय मानक से अधिक
नदियों के पानी में फीकॉल कोलीफार्म नाम का बैक्टीरिया पाया जाता है। सामान्य स्थिति में एक मिलीलीटर पानी में 100 बैक्टीरिया होने चाहिए। लेकिन अमृत स्नान के ठीक एक दिन पहले यमुना नदी के एक सैंपल में फीकल कोलीफॉर्म 2300 पाया गया।
*संगम के आसपास स्थिति ज्यादा खराब*
संगम से लिए गए सैंपल में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया एक मिलीलीटर पानी में 100 की बजाय 2000 निकला है। इसी तरह टोटल फीकल कोलीफॉर्म 4500 है।
गंगा पर बने शास्त्री ब्रिज के पास से लिए गए सैंपल में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया 3200 और टोटल फीकल कोलीफॉर्म 4700 है।
संगम से दूर वाले हिस्से में दोनों की संख्या कम है। फाफामऊ चौराहे के पास से लिए गए सैंपल में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया एक मिलीलीटर पानी में 100 के बजाय 790 पाया गया। इसी तरह राजापुर मेहदौरी में यह 930 पाया गया। झूंसी में छतनाग घाट और एडीए कॉलोनी के पास इसकी मात्रा 920 पाई गई।
नैनी में अरैल घाट के पास यह 680 था। राजापुर में यह 940 पाया गया। ऐसे में, यह सेंट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के मानकों के मुताबिक यह C कैटेगरी में आता है। इसमें पानी को बिना प्यूरिफिकेशन और डिसइंफेक्ट किए नहाने के लिए भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
मानक से अधिक फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया बीमारियों की वजह
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में गंगा नदी पर रिसर्च करने वाले प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी बताते हैं कि जिस पानी में मानक से ज्यादा फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया होगा, वह किसी इस्तेमाल के लायक नहीं रहेगा। यह पानी अगर शरीर में गया तो बीमारियां पैदा करेगा। अगर ऐसे पानी से नहाया जाता है या इसे पिया जाता है तो यह त्वचा रोग की वजह बन सकता है।
*6 मानकों पर जांचा गया गंगा और यमुना का पानी*
सेंट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड ने जो रिपोर्ट जारी की है उसमें कुल 6 पैमानों पर गंगा और यमुना नदी के पानी को जांचा गया है। इसमें पीएच यानी पानी कितना
अम्लीय या क्षारीय है, फीकल कोलफॉर्म, BOD यानी बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड, COD यानी केमिकल ऑक्सीजन डिमांड और डिजॉल्बड ऑक्सीजन शामिल है।
इन छह पैमानों पर जितनी भी जगहों से सैंपल लिए गए हैं उनमें ज्यादातर में फीकल कोलीऑर्म बैक्टीरिया की मात्रा मानक से अधिक पाया गया है। इसके अलावा 5 अन्य पैमानों पर पानी की गुणवत्ता मानक के अनुरूप है।
*2019 के कुंभ में भी ऐसी ही स्थिति थी*
2010 के कुंभ में भी ऐसी ही स्थिति थी। सीपीसीबी की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से संकेत दिया था कि प्रमुख स्नान के दिनों में भी पानी की गुणवत्ता खराब थी।
2019 कुंभ मेले के दौरान 13 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने स्नान किया था। रिपोर्ट के अनुसार करसर घाट पर बीओडी और फीकल कोलीफॉर्म का स्तर स्वीकार्य सीमा से ऊपर पाया गया। प्रमुख स्नान के दिनों में शाम की तुलना में सुबह बीओडी का स्तर काफी अधिक था।