
ईमानदारी की सज़ा: प्रयागराज में एक और अधिकारी सत्ता की बलि चढ़ा।
राजनीति के गलियारों से निकली एक और सड़ी गंध ने ईमानदारी की एक और मशाल बुझा दी। प्रयागराज के करेलाबाग उपखंड के ईमानदार एसडीओ, राजवीर कटारिया का रातों-रात तबादला कर दिया गया — वजह वही पुरानी, सत्ता के दबाव में लिया गया निर्णय, जिसमें कर्तव्य और नैतिकता की कोई जगह नहीं थी।
जब से कटारिया ने करेलाबाग का प्रभार संभाला, क्षेत्र की चरमराई विद्युत व्यवस्था में आशाजनक सुधार दिखने लगे थे। बिजली चोरी पर नकेल कसी गई, घोषित और अघोषित अवैध कनेक्शनों पर कार्रवाई हुई, और वो वर्ग जो राजनीतिक संरक्षण में लिप्त होकर व्यवस्था को चुनौती दे रहा था, उसका सीना पहली बार कुछ नरम पड़ा।
लेकिन ईमानदारी सस्ती नहीं होती — और न ही सत्ता के साथ इसका रिश्ता कभी मधुर रहा है।
सूत्रों के अनुसार, एक प्रभावशाली भाजपा नेता के एक फ़ोन कॉल ने सब कुछ बदल दिया। जो अधिकारी कल तक ज़मीन पर व्यवस्था दुरुस्त कर रहा था, उसे एक ही रात में किनारे कर दिया गया।
यह कोई पहला मामला नहीं। इससे पहले एसडीओ विजय यादव, जिनकी ईमानदारी इतनी गहराई तक जमी है कि आज भी टूटी-फूटी बाइक से दफ़्तर आते हैं — उन्हें भी कई बार सस्पेंड किया गया, सिर्फ़ इसलिए क्योंकि उन्होंने व्यवस्था के आगे घुटने टेकने से इनकार किया।
सवाल यह नहीं है कि राजवीर कटारिया या विजय यादव क्यों हटाए गए। सवाल यह है कि जनता, जो भ्रष्टाचार के नाम पर सबसे तेज़ आवाज़ में बोलती है, जब कोई अधिकारी उसकी भलाई के लिए निडर होकर खड़ा होता है, तो क्यों चुप्पी ओढ़ लेती है?
जब तक जनता ऐसे ईमानदार अफ़सरों के लिए सड़कों पर नहीं उतरेगी, तब तक सत्ता का यह खेल चलता रहेगा। और तब तक हर वह व्यक्ति जो ईमानदारी से काम करने का सपना लेकर इस व्यवस्था में आता है — उसे या तो सस्पेंड किया जाएगा, या तबादले की फाइल में गुम कर दिया जाएगा।
अब करेलाबाग की बिजली कैसी होगी, मिलेगी भी या नहीं — इसका जवाब न तो सिस्टम के पास है और न ही अब उम्मीद के पास।
एसडीओ करेलाबाग राजवीर कटारिया का तबादला मिर्जापुर हुआ