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हिमालय प्रदेशों की तरह सीढ़ीनुमा खेत में सब्जी की खेती

सागर। वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज रिपोर्टर सुशील द्विवेदी। कलेक्टर संदीप जी.आर. के अनुसार समूह से जुड़कर महिलाओं ने कृषि के क्षेत्र में नवाचार को अपनाया है। जिले में जी-9 प्रजाति के केले के पौधे के रोपड़ किये गये है। महिलाओं ने गरीबी के चक्र से बाहर आकर समूह के लोन के माध्यम से अपनी आमदनी को बढाना शुरू किया है। शासन की ओर से भी उन्हें योजनाओं से जोड़ा जा रहा है। म.प्र.राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत ग्राम कनेरा गौड़ जैसीनगर में गठित श्रीश्याम स्व. सहायता समूह की सचिव श्रीमति मोगबाई पटैल ने कम जोत किसानी में भी नायाब तरीके अपनाए है। उनके पास 1.5 एकड़ खेती है। पहाडी ढलान पर स्थित खेती में किसानी करना कठिन था। परिवार की मदद से खेत में पत्थर बोल्डर को जमाकर हिमालय प्रदेशों की तरह सीढ़ीनुमा खेती तैयार किए। खेत में पत्थरों की मेढ़ों को अरहर अमरूद, आम, बेर, सेम गिलकी आदि से कव्हर किया। मिश्रित खेती का नमूना उनके खेत में तैयार किया गया है। उन्होने टमाटर, मटर, फूल, गेहू, चना, भाजी, अरहर सब साथ लगा रखा है। वे पॉच पत्ती काढ़ा, जीवामृत, केंचुआ खाद बनाती है। उन्होने अपने खेत में रासायनिक खाद और बाजार की दवा का उपयोग पिछले वर्षों से बंद कर रखा है।आजीविका मिशन के अन्तर्गत उन्होने 15 किसान महिलाओं के साथ बलराम जैविक उत्पादक प्रोड्यूसर ग्रुप भी बनाया है और खेती जैविक प्रमाणीकरण के अन्तर्गत प्रक्रियाधीन है। खेतों के अनियमित और छोटे होने के कारण वे बैलो की मदद से खेत की तैयारी करती है। एक फसल के समय दूसरी फसल एक फसल के जाने के पहले दूसरी फसल लगा देती है। ड्रिप और मंचिग की मदद से उन्होने टमाटर लगाया था। टमाटर अब जाने लगा है। इसलिए उन्होने टमाटर के पौधो के पास मटर बो दी। खेत के एक सिरे पर जो पड़ोसी के खेत से मिलता है। उन्होंने सेम के दानों को बो कर एक परदा वॉल तैयार कि। सेम के ये पौधे अब उनके लिए रूपया के पौधे है। अब तक वे पाँच कुंटल सेम बेच चुकीं है और इस से अधिक उत्पादन आना बाकी है। उनके पति बाबूलाल पटैल ने बनाया है कि उन्होने चालू वित्तीय वर्ष में 30 क्विंटल केंचुआ खाद, 07 क्विंटल मूगंफली, 25 क्विंटल आलू 01 क्विटंल बेर, 50 क्विंटल टमाटर, 5 क्विटल लोकी गिलकी, 5 क्विटल सेम, 02 क्विटल अमरूद बेचे है उनके पास 7 पशु है। जैविक दवा बनाने के लिए ढालू फर्श बनाकर गौमूत्र को देशी जुगाड़ टेक्नालाजी से एक बाल्टी में इकटठा करते है। वे बताते है, कि हमने अपने खेत में जहर और रसायन दोनों का उपयोग बंद कर रखा है।इसी प्रकार लक्ष्मी स्वंय सहायता समूह से जुड़ी श्रीमति अभिषा कुशवाहा ग्राम बिजौरा विकासखण्ड जैसीनगर ने अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए च्डथ्डम् के अन्तर्गत मसाला उद्योग मशीनों की स्थापना की है। 10 लाख रूपए का लोन लेकर उन्होने आटा, धनिया, हल्दी, मिर्च, का पाउडर बनाकर स्वंय की मेहनत से बनाकर सप्लाई शुरू की है।

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