
शादी के 6 दिन बाद हनीमून पर गए लेफ्टिनेंट विनय शहीद, पत्नी बस दोहराती रही एक ही बात : ‘मां कहती थी, कश्मीर सबसे सुंदर जगह है… पर वहां मौत ने मेरा जीवन छीन लिया’
नयी दिल्ली :’वो बस कुछ दिन की छुट्टी पर था, एक नई ज़िंदगी शुरू करने… कौन जानता था, ये ज़िंदगी उसकी आख़िरी साबित होगी।” 26 वर्षीय लेफ्टिनेंट विनय नरवाल , भारतीय नौसेना के तेजतर्रार अधिकारी, जिनकी सिर्फ 6 दिन पहले शादी हुई थी।
वह अपनी नई दुल्हन के साथ कश्मीर की वादियों में हनीमून मनाने आए थे।
लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था
22 अप्रैल, मंगलवार को, जम्मू-कश्मीर के बैसरन, पहलगाम की शांत घाटियों में तबाही की चीखें गूंज उठीं। विनय भी उसी भीड़ में शामिल थे, जब आतंकियों ने अचानक अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। चंद पलों में पहलगाम की वादियां खून में रंग गईं।
एक नवविवाहित प्रेम कहानी, जो अधूरी रह गई…
16 अप्रैल को हरियाणा के झज्जर में उनकी शादी हुई थी। उनके परिवार और दोस्तों के लिए यह गर्व और खुशी का पल था-देश का बेटा, समुद्री सीमाओं का रक्षक, एक नया जीवन शुरू कर रहा था। पर किसे पता था, 22 अप्रैल की दोपहर को ही उनकी पत्नी की मांग का सिंदूर ख़ून से धुल जाएगा। कोच्चि में तैनात विनय, अपनी छुट्टी में जीवन की सबसे खूबसूरत यात्रा पर निकले थे, पर यह यात्रा जीवन की आख़िरी बन गई।
बैसरन हमला: घाटी के सौंदर्य पर छाई खून की धुंध
इस हमले में 20 से ज्यादा लोगों की मौत हुई, और दर्जनों घायल हैं। आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया, जिसमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, और पंजाब के लोग शामिल थे। कश्मीर रेजिस्टेंस नामक आतंकी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी ली है। यह हमला मानवता पर सीधा प्रहार है। एक नवदंपती, जो अपने सपनों की शुरुआत कर रहे थे-उन्हें इस्लामी कट्टरवाद के दहशतगर्दों ने बेरहमी से छीन लिया।
‘शहीद विनय’ अब एक नाम नहीं, एक प्रतीक बन चुका है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहीद विनय नरवाल सहित सभी पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी है। ‘ये जघन्य कृत्य मानवता के विरुद्ध है। हमारा संकल्प आतंक के खिलाफ पहले से भी अधिक अडिग है।’ अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी इस घटना पर गहरा दुख प्रकट किया। अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह घटना भारत में सुरक्षा और आतंकवाद के खात्मे के प्रति वैश्विक एकजुटता का आह्वान बन गई है।
‘मां कहती थी, कश्मीर सबसे सुंदर जगह है… पर वहां मौत ने मेरा जीवन छीन लिया।
शहीद विनय की पत्नी का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। एक नवविवाहित पत्नी, जो आज विधवा बन चुकी है, देश से सवाल कर रही है: ‘क्या वर्दी पहनने वालों की जान इतनी सस्ती है?’
विनय नरवाल की शहादत केवल एक सैनिक की मौत नहीं है, यह उस सपने की मौत है जो हर नवविवाहित जोड़ा देखता है। पहलगाम में हुई यह बर्बरता न केवल राष्ट्र की आत्मा को घायल करती है, बल्कि यह एक सामूहिक चेतना को भी जगाती है-कि आतंक के खिलाफ लड़ाई अब सिर्फ़ सरकार की नहीं, हम सबकी है।
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