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*तेलकामठी-तिष्टी में आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह*


तेलकामठी-तिष्टी में भक्ति और ज्ञान की त्रिवेणी: श्री ग्रंथराज ज्ञानेश्वरी पारायण उत्सव संपन्न

नागपूर ग्रामीण, सावनेर प्रतिनिधी:सूर्यकांत तळखंडे

तेलकामठी-तिष्टी: स्थानीय तेलकामठी-तिष्टी गाँव में शंकरराव पाटिल निंबालकर और नामदेव पाटिल निंबालकर की पुण्य स्मृति में आयोजित श्री ग्रंथराज ज्ञानेश्वरी पारायण सोहला एक भव्य और प्रेरणादायक कार्यक्रम के रूप में संपन्न हुआ। इस आध्यात्मिक आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और संत वाणी का श्रवण कर अपने जीवन को धन्य बनाया।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण विदर्भ के आध्यात्मिक जगत के एक प्रतिष्ठित संत, विदर्भ रत्न रामराव महाराज ढोक का कीर्तन और प्रवचन रहा। महाराजश्री ने अपने सारगर्भित विचारों से श्रोताओं को भक्ति, ज्ञान और सदाचार का महत्व समझाया। उन्होंने विशेष रूप से संतों के सानिध्य की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि जिस गाँव में संतों के चरण पड़ते हैं, उस स्थान की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है और वह संकटों से मुक्त हो जाता है। उन्होंने लोगों को संतों के बताए हुए मार्ग पर चलने और उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संदेश दिया, जिससे सच्ची मुक्ति और आनंद की प्राप्ति हो सके। महाराजश्री की वाणी में अद्भुत तेज और करुणा का भाव था, जिसने उपस्थित सभी लोगों के हृदय को स्पर्श किया।
पारायण सोहले के अंतिम दिन ह.भ.प. सोपान महाराज कालबांडे ने कालिया कीर्तन प्रस्तुत किया। उनके कीर्तन में भक्ति रस की ऐसी धारा प्रवाहित हुई कि श्रोतागण भावविभोर होकर तालियाँ बजाने और हरि नाम का जाप करने लगे। कालिया कीर्तन के माध्यम से उन्होंने आध्यात्मिक संदेशों को सरल और मधुर तरीके से लोगों तक पहुँचाया, जिससे वातावरण पूरी तरह से भक्तिमय हो गया।
इस महत्वपूर्ण अवसर पर मंच पर कई अन्य संत और गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे, जिनमें प्रमुख रूप से ह.भ.प. ईश्वर महाराज उईके, ह.भ.प. देविदास महाराज ढवले शामिल थे, जिन्होंने अपने विचारों से कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ाया। मृदंग वादक प्रशांत महाराज गायकवाड़ और रोशन महाराज केवटे ने अपनी लयबद्ध प्रस्तुति से कीर्तन को और अधिक आकर्षक बना दिया। हार्मोनियम पर विनायकराव नागमोते ने मधुर संगत दी, जबकि रवींद्र महाराज कडू और अन्य सहयोगी जैसे रंजन भुजाडे, ईश्वर कुंबरे, प्रवीण निंबुरकर, प्रदीप तावडे, दीपक डेहनकर, श्रावण करोती, सतीश वानखेड़े, सूर्यभान दुर्वे, अभय चिंचुरकर, संस्कार निंबुळकर और हर्षल मांडवगडे ने भी कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
कार्यक्रम में तेलकामठी-तिष्टी और आसपास के क्षेत्रों के प्रतिष्ठित नागरिकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया, जो इस आध्यात्मिक आयोजन के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा और आस्था को दर्शाता है।
इस पूरे धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन निंबालकर परिवार द्वारा अत्यंत कुशलतापूर्वक किया गया था। उन्होंने न केवल संतों और भक्तों के लिए आरामदायक व्यवस्था सुनिश्चित की, बल्कि कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित लोगों के लिए एक विशाल महाभोज का भी आयोजन किया। इस महाभोज में हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।
निंबालकर परिवार के इस सराहनीय प्रयास की सभी ओर प्रशंसा हो रही है। उन्होंने न केवल अपने पूर्वजों की स्मृति को जीवंत रखा, बल्कि क्षेत्र में धार्मिक और आध्यात्मिक मूल्यों को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह कार्यक्रम निश्चित रूप से तेलकामठी-तिष्टी के लोगों के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ गया है और उन्हें धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता रहेगा।

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