
नई दिल्ली:-पहलगाम आतंकी हमले की जांच नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी कर रही है, जिसकी शुरुआती जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। NIA के DG (महाराष्ट्र कैडर) सदानंद दाते ने पहलगाम में घटनास्थल का दौरा किया था। DG ने ही जांच रिपोर्ट तैयार की है और वह इस रिपोर्ट को गृह मंत्रालय को सौंप देंगे। NIA की जांच रिपोर्ट के अनुसार, आतंकी हमले की साजिश ISI के इशारे पर लश्कर-ए-तैयबा के POK में बने हेड क्वार्टर में रची गई थी।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद नए-नए खुलासे हो रहे हैं. NIA की शुरुआती जांच में पता चला है कि इस पूरे हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी. इसके लिए बाकायदा बैठक और रेकी भी की गई थी. सूत्रों की मानें तो पहलगाम आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर, ISI और पाक आर्मी की साजिश है. NIA की जांच में पता चला है कि आरोपियों हमले वाली जगह से करीब 10 किलोमीटर दूर बेताब घाटी में हथियार छिपाए थे. इस आतंकी हमले की प्लानिंग फरवरी महीने से शुरू हुई थी.
2 फरवरी को PoK के रावलकोट में एक बैठक हुई थी. इस बैठक में लश्कर, जैश और हमास के कई नेता शामिल हुए. पहली ही बैठक में पहलगाम में हमले की साजिश रची गई थी. सभी नेताओं की सहमति के बाद ही पहलगाम को फिक्स किया गया था. बैठक के बाद तुरंत हाफिज सईद को पाकिस्तान आर्मी के कैंट इलाके में शिफ्ट कर दिया गया था. ताकि अगर कुछ भी गड़बड़ होता है कि हाफिज पर कोई सवाल खड़े न करे और उसकी सुरक्षा पुख्ता बनी रहे.
मार्च में दी गई हमले की जिम्मेदारी
फरवरी में हुई पहली बैठक के बाद से ही प्लान पर काम शुरू हो चुका था. आगे की रायशुमारी के लिए मार्च में लश्कर के मुख्यालय में एक और मीटिंग रखी गई. बैठक में लश्कर का डिप्टी कमांडर सैफुल्लाह, ISI ऑफिसर्स और पाकिस्तान आर्मी के लोग शामिल हुए थे, जिसमे हाशिम मूसा और तलाह भाई को पहलगाम आतंकी हमले की जिम्मेदारी दी गई थी. उन्हें ये बताया गया था कि किसी भी हालत में पूरे प्लान को अंजाम देना है.
15 अप्रैल को पहलगाम पहुंचे आतंकी
पाकिस्तान में हुई दो बैठकों के बाद सब कुछ तय कर दिया गया था. आने से लेकर वापस जाने और मददगारों तक का इंतजाम हो चुका था. यही कारण है कि आतंकी 15 अप्रैल को ही पहलगाम पहुंच चुके थे. यहां उन्होंने करीब 1 हफ्ते तक पूरे इलाके की रेकी की थी. इस दौरान उन्होंने 3 लोकेशन को चुना था, जिसमें आरू घाटी, बेताब घाटी, और एम्यूजमेंट पार्क था. हालांकि पहलगाम पुलिस स्टेशन नजदीक होने से आतंकियों ने प्लान ड्रॉप कर दिया. बाद में उन्होंने बायसरान घाटी को अपना निशाना बनाया था.
OGW की मदद के बाद दिया घटना को अंजाम
आतंकी किसी भी हालत में अपना प्लान कामयाब करना चाहते थे. यही कारण है कि उन्होंने पहाड़ी क्षेत्र होने के बाद भी घटला स्थल से करीब 10 किलोमीटर दूर हथियार छिपाए थे. ताकि किसी को भी कानों कान भनक न लग सके. 20 अप्रैल को आतंकी OGW से मिली इनफार्मेशन के बाद बैसरन घाटी पहुंचे. 2 दिन घाटी की रेकी की जिसमे 4 OGW ने आतंकियों की मदद की थी. आतंकियों में 22 अप्रैल आतंकी हमले की योजना बनाई और दोपहर ढाई बजे आतंकी वारदात को अंजाम दिया गया.
बायसरन घाटी में 22 अप्रैल को आतंकियों ने हमला कर दिया. इसमें 26 पर्यटक मारे गए थे. इसमें एक नेपाल का टूरिस्ट भी शामिल था. आतंकियों ने पर्यटकों का धर्म पूछकर गोली मारी थी.
आतंकी हमले में 2 पाकिस्तानी आतंकी शामिल हैं, जिन पर 20-20 लाख का इनाम रखा गया है। इन आतंकियों के नाम हाशिम मूसा (पाकिस्तानी सेना का कमांडो) और अली उर्फ तल है। दोनों लश्कर के ट्रेंड आतंकी है , जिन्होंने ISI के साथ मिलकर आतंकी हमले को अंजाम दिया है। NIA ने अपनी रिपोर्ट में पहलगाम आतंकी हमले के लिए सीधे पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है। आतंकी हमले से सीधा पाकिस्तान का कनेक्शन मिला है।
22 अप्रैल को हुआ था आतंकी हमला
बता दें कि 22 अप्रैल दिन मंगलवार को जम्मू कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकी हमला हुआ था। 4 से 5 हथियारों से लैस आतंकियों ने 26 भारतीय पर्यटकों की गोलियां मारकर हत्या कर दी थी। आतंकी हमले से भारत सरकार, भारतीय सेना और भारतवासी भड़के हुए हैं। भारत सरकार ने पाकिस्तान से बदला लेने का संकल्प लिया है। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना को आतंकवाद का कुचलने के लिए फ्री हैंड दे दिया है।
एनआईए सूत्रों को यह अंदेशा भी है कि 15 अप्रैल को ही आतंकवादी पहलगाम पहुंच गए थे. बैसरन घाटी के अलावा तीन और जगहों की रेकी गई थी. आरु घाटी, एम्यूजमेंट पार्क और बेताब घाटी…ये तीनो लोकेशन आतंकियों के टारगेट पर थी. लेकिन सुरक्षा के चलते नहीं आतंकियों के मंसूबे यहां पूरे नहीं हुए और आतंकी हमले से ये तीनों घाटी बच गए. एनआईए की जांच में 20 के करीब OGW (ओवर ग्राउंड वर्कर) की पहचान की जा चुकी है. इनमें से कई OGW की गिरफ्तारी की जा चुकी है, सूत्रों के मुताबिक 4 ओवर ग्राउंड वर्कर्स ने पाकिस्तानी आतंकियों को रेकी करने में मदद की थी.
3 सैटेलाइट फोन और 2 हुए ट्रेस
एनाईए को जांच में घाटी में 3 सैटेलाइट फोन के इस्तमाल के सबूत भी मिले हैं. इनके 2 फोन के सिग्नल जांच एजेंसियों ने ट्रेस कर लिए हैं. इसका मतलब है कि एनआईए अब आतंकियों के बहुत करीब पहुंच गई है. 2500 संदिग्धों में से 186 लोग अभी भी हिरासत में हैं. इन सबसे पूछताछ जारी है. फिलहालल, पूरे जम्मू-कश्मीर में एनआईए ने 100 से अधिक ठिकानों पर रेड मारी है. ये छापेमारी हुर्रियत और जमात-ए-इस्लामी के समर्थकों के घर और ठिकानों पर हो रही है.
- पहलगाम आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान सीधे तौर पर जिम्मेदार है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर साजिश रची गई। लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने हमला किया। साजिश POK में लश्कर हेड क्वार्टर में रची गई थी।
- पहलगाम आतंकी हमला करने वालों में 2 आतंकी पाकिस्तान के थे और दोनों ही ट्रेंड टेररिस्ट थे। एक आतंकी हाशिम मूसा था, जो पाकिस्तानी सेना का कमांडो था। दूसरे का नाम अली उर्फ तल है। मास्टरमाइंड हाशिम मूसा था।
पता चला है कि पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकी हमला करके 26 टूरिस्टों को मारा गया, लेकिन आतंकियों ने हमला करने के लिए 4 इलाकों की रेकी की थी, जिसमें बैसरन घाटी, अरु वैली, बेताब वैली और एम्यूजमेंट पार्क शामिल हैं।
सुराग मिला है कि आतंकवादियों ने हमला करने के लिए हाई टेक्नोलॉजी वाले सिस्टम का इस्तेमाल किया, जो मोबाइल नेटवर्क या सिम कार्ड पर निर्भर नहीं था। कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं था, कोई कॉल नहीं हुई, फिर भी वे वीडियो भेजते रहे।
सुराग मिला है कि आतंकवादियों ने चीन की कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया, जो भारत में प्रतिबंधित है। इसे पाकिस्तान या अन्य देशों से तस्करी करके लाया गया होगा। जांच के दायरे में एक हुवावे कंपनी का सैटेलाइट फोन है, जो हमले के दौरान पहलगाम में एक्टिव था।
एनआईए को मिले सबूत
NIA सूत्रों के मुताबिक, पहलगाम हमले के बाद हुई इन छापेमारी में बड़ी संख्या में देश विरोधी चीजें बरामद हुई हैं, जो इस बात की इशारा कर रही है कि प्रतिबंधित होने के बावजूद में इन संगठनों ने पहलगाम हमलावरों के लिए ओवरग्राउंड वर्करों का नेटवर्क तैयार करने में मदद की थी. कुपवाड़ा, हंदवाड़ा, अनन्तनाग, त्राल, पुलवामा, सोपोर, बारामूला, बांदीपोरा में करीब 100 ऐसे इन संगठनों के लोगों के यहां छापेमारी की गई, इनके कॉल रिकार्ड भी खंगाले जा रहे हैं. एनआईए सूत्रों के मुताबिक इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि इन प्रतिबंधित संगठनों के कुछ लोगों का ओवरग्राउंड वर्करों से लगातार संपर्क था.
बैसरन से 10 किमी दूर छिपाए थे हथियार
जांच में खुलासा हुआ है कि आतंकियों ने हमले से पहले हथियारों का जखीरा बेताब घाटी में छुपाया था. एक ऐसा इलाका जो घटना स्थल से लगभग 10 किलोमीटर दूर है. कोई अचानक उठाया गया कदम नहीं था. आतंकियों ने बेताब घाटी को बड़ी सोच-समझ के साथ चुना. उन्होंने पहले इलाके की बारीकी से रैकी की, रास्तों को पहचाना, सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया और फिर तय किया कि हथियार कहां और कैसे छुपाए जाएंगे.
बयान और 3D मैपिंग से जुटाए जा रहे सुराग
शुरुआती जांच रिपोर्ट में अब तक लगभग 150 लोगों के बयान रिकॉर्ड किए जा चुके हैं. ये बयान उस घटनाक्रम की एक-एक कड़ी को जोड़ने में मदद कर रहे हैं, जिसे आतंकियों ने बेहद सधे हुए अंदाज़ में अंजाम दिया था. इतना ही नहीं, हमले के समय की स्थिति को समझने और दोबारा खंगालने के लिए 3D मैपिंग और घटनास्थल का रिक्रिएशन भी किया गया है. इन तकनीकी रिपोर्ट्स को भी जांच के शुरुआती दस्तावेज़ों में शामिल किया गया है, ताकि एक भी सुराग छूट न जाए.
सामने आया नए आतंकी का नाम
जैसे-जैसे पहलगाम आतंकी हमले की जांच आगे बढ़ रही है, पर्दे के पीछे की कहानी धीरे-धीरे सामने आ रही है. एक ऐसी साजिश, जो सरहद पार लश्कर-ए-तैयबा के हेडक्वार्टर में बैठकर रची गई थी और जिसे अंजाम तक पहुंचाने की कमान मिली थी दो खतरनाक आतंकियों को हाशिम मूसा और अली भाई उर्फ तल्हा भाई.
ISI के इशारे पर रची गई साजिश
प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में इन दोनों आतंकियों की पूरी प्रोफाइल सामने रखी गई है. दोनों पाकिस्तान के नागरिक हैं और घटना से कई दिन पहले से अपने हैंडलरों के लगातार संपर्क में थे. जांच में यह भी साफ हुआ है कि ये आतंकी सिर्फ मैदान में उतरने वाले मोहरे थे. डोरें किसी और के हाथ में थीं. रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि लश्कर के मुख्यालय में बैठकर ISI के इशारे पर इस हमले की पूरी साजिश तैयार की गई थी. कब, कहां और कैसे हमला करना है. हर बारीकी, हर योजना पाकिस्तान से तय हो रही थी. हाशिम मूसा और तल्हा भाई को सीधे-सीधे वहीं से कमांड मिल रहे थे.