
सावनेर का ‘दम घोंटू’ बाजार: यहाँ ट्रैफिक नहीं, लोगों की साँसें अटकती हैं!
नागपुर ग्रामीण, प्रतिनिधि: सूर्यकांत तळखंडे
21 मई 2025: सावधान! अगर आप सावनेर के दिल से गुजर रहे हैं, तो रुकिए और सोचिए! वो जगह, जो कभी रौनक और खुशहाली से धड़कती थी, आज अव्यवस्था के दलदल में बदल चुकी है। हर शाम यहाँ का ट्रैफिक जाम लोगों की साँसें खींच लेता है। न सुरक्षित पार्किंग, न चलने के लिए फुटपाथ – बस बेतरतीब गाड़ियों का शोर और हाँफते हुए लोगों का सैलाब। और पता है सबसे चौंकाने वाली बात क्या है? ये सब कुछ पुलिस स्टेशन और नगरपालिका की नाक के ठीक नीचे हो रहा है! क्या खाकी वर्दी वाले अब भी नींद में हैं? क्या ये सोता हुआ प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है?
ये कोई आम सड़क नहीं, ये सावनेर सब्जी बाजार का वो इलाका है जहाँ हर शाम अराजकता का नंगा नाच होता है। ठेले, गाड़ियाँ, और पैदल चलने वाले लोग – सब एक-दूसरे से गुत्थम-गुत्था। मानो किसी ने ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाने का ठेका ले रखा हो। स्थानीय निवासी गुस्से से लाल हैं: “ये जंगल राज है! यहाँ कोई सुनने वाला नहीं। हमारे बच्चे, हमारे बुजुर्ग – हर कोई खतरे में है।” महिलाएँ बताती हैं कि सब्जी खरीदने आना अब किसी ‘खतरे से खाली’ नहीं रहा। व्यापारियों का दर्द भी कम नहीं, “ग्राहक डर के मारे बाजार आना छोड़ रहे हैं, हमारी रोजी-रोटी पर लात पड़ रही है।”
सबसे बड़ी बेबसी तब महसूस होती है जब आप देखते हैं कि इस पूरे तमाशे से चंद कदमों की दूरी पर नगरपालिका और प्रशासन के नुमाइंदे कुर्सी तोड़ रहे हैं, जैसे कुछ हुआ ही न हो। पार्किंग के लिए प्रस्ताव तो सालों पहले बन गए, लेकिन वो आज भी फाइलों में धूल फाँक रहे हैं, और जिम्मेदार अधिकारी कुंभकर्णी नींद में सोए हैं। क्या उन्हें इन हाफ़ते हुए लोगों की आहें सुनाई नहीं देतीं? क्या सड़कों पर मची ये भगदड़ दिखाई नहीं देती? ये लापरवाही नहीं, ये सावनेर की जनता के साथ सीधा धोखा है! पहले भी कई मासूम इस अव्यवस्था का शिकार हुए हैं, तो क्या अब प्रशासन और नगरपालिका किसी और बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहा है?
अगर अब भी प्रशासन और नगरपालिका की आँखें नहीं खुलीं, तो इसके गंभीर और विनाशकारी परिणाम भुगतने होंगे। छोटे-मोटे हादसे तो रोज़ की बात हैं, अब किसी बड़ी दुर्घटना का खतरा सिर पर मंडरा रहा है। अगर ग्राहक नहीं आएँगे, तो व्यापारियों का क्या होगा? सावनेर की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी। धूल और धुएँ से लोगों का स्वास्थ्य दाँव पर है। अब पानी सिर के ऊपर से जा चुका है। अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो सावनेर की जनता सड़कों पर उतरकर अपना हक छीन लेगी!
सावनेर का सब्जी बाजार सिर्फ एक बाजार नहीं, ये हमारी पहचान है, हमारी जीवनशैली है। इसे इस तरह ‘अव्यवस्था का गढ़’ बनने नहीं दिया जा सकता। जिला प्रशासन, नगर परिषद (नगरपालिका) और ट्रैफिक विभाग को हम खुली चुनौती देते हैं – या तो अगले 24 घंटे के अंदर ठोस और प्रभावी कार्रवाई करो, वरना सावनेर की जनता तुम्हें चैन से सोने नहीं देगी! ये गुजारिश नहीं, ये जनता का हुक्म है!