
अजीत मिश्रा (खोजी)
उत्तर प्रदेश बस्ती
झूठे आरोप की पटकथा :: पहले चीख-चीखकर लगाया आरोप, अब सुलह के नाम पर पलटी बयानबाज़ी!
🙈🙉🙊 फर्जी आरोप और मीडिया को गुमराह करने की साजिश! पैसे के लिए किया गया था खेल?
बस्ती ।। एक बार फिर सच्चाई और झूठ के बीच की रेखा धुंधली होती दिखाई दी जब एक व्यक्ति/महिला द्वारा अस्पताल और डॉक्टरों पर पहले गंभीर आरोप लगाए गए, लेकिन अब वही व्यक्ति सुलहनामा लेकर सामने आया और अपने पुराने बयानों से पूरी तरह पलट गया।
मामला तब सुर्खियों में आया जब संबंधित व्यक्ति ने मीडिया के सामने आकर चीख-चीखकर अस्पताल पर लापरवाही, भ्रष्टाचार या अमानवीय व्यवहार के आरोप लगाए। उसकी बातों से आम जनमानस में रोष व्याप्त हुआ, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग तक हरकत में आ गए। लेकिन जब वहीं व्यक्ति फिर खुद एक सुलहनामा लेकर आया और कहा कि पहले जो बयान दिए थे, वो “भावनात्मक दबाव” या “गलतफहमी” में दिए गए थे, तो सब स्तब्ध रह गए।क्या यह सब केवल पैसों के लिए किया गया था?क्या मीडिया को सिर्फ एक कठपुतली समझा जाता है जिसे जहाँ चाहो, जैसा चाहो घुमा दो?इस घटना से यह स्पष्ट हो गया कि आरोपी व्यक्ति ने मीडिया का सहारा लेकर पहले तो झूठा माहौल बनाया, जनभावनाओं को भड़काया और फिर अंदर ही अंदर पैसे लेकर चुपचाप समझौता कर लिया।ऐसे मामलों से न सिर्फ जनता में भ्रम पैदा होता है, बल्कि वास्तव में लापरवाह या भ्रष्ट अस्पतालों पर कार्रवाई भी नहीं हो पाती। जब झूठे आरोपों की आड़ में सही मामलों को भी संदेह की दृष्टि से देखा जाने लगे, तो पीड़ितों को न्याय मिलना और भी मुश्किल हो जाता है।मीडिया की भूमिका सवालों के घेरे में नहीं है, लेकिन ऐसे लोगों की मंशा पर सवाल उठना जरूरी है जो मीडिया को हथियार की तरह इस्तेमाल कर झूठ का महल खड़ा करते हैं।फिलहाल मामला लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।